- किस्से नगर सरकार के
ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। नगर निगम परिषद ग्वालियर में अरुणा सैन्या (अनुसूचित जाति) ऐसी पहली महापौर थीं, जिन्होंने पूरे पांच साल कार्यकाल संभाला। इससे पहले निगम में महापौर का कार्यकाल सिर्फ एक साल का होता था। अरुणा भी वर्ष 1995 में एक साल के लिए ही चुनकर आई थीं, लेकिन अचानक शासन ने निर्णय लिया कि महापौर का कार्यकाल भी पार्षदों की तरह ही पांच साल का होगा।़1ि995 में ग्वालियर महापौर की सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित की गई थी। उस समय निगम परिषद में भाजपा से अनुसूचित जाति वर्ग की दो महिलाएं चुनाव जीती थीं। इनमें पहली अरुणा सैन्या थीं, जबकि दूसरी प्रेमलता पिपरिया। तभी महापौर के चुनाव से एक दिन पहले प्रेमलता पिपरिया कांग्रेस में शामिल हो गई। इसके बाद अरुणा सैन्या को महापौर चुना गया।
गरीब परिवार से थीं: पार्टी सूत्रों के अनुसार अरुणा सैन्या गरीब परिवार से थीं। उनके पिता भगवानदास सैन्या नगर निगम के पार्क विभाग में माली के पद पर थे। उनके ससुर भगवानदास पीजीवी कालेज में बतौर चौकीदार पदस्थ थे। ़पिहली महिला महापौर बनी थी अरुणा सैन्या: ग्वालियर में नगर निगम परिषद 14 नवंबर 1956 से प्रारंभ हुई थी। तब से लेकर 1995 (39 साल) तक लगाताार पुरुष ही महापौर बनते आए थे। अधिकांश पुरुष दो से तीन बार तक महापौर बने थे। 1995 में पहली बार परिषद की कमान महिला महापौर ने संभाली थी।
एसपी के खिलाफ परिषद में लाना था निंदा प्रस्ताव महापौर व आइजी की सूझबूझ से निपटा मामला
वर्ष 2000 से 2005 की नगर निगम परिषद में पूरन सिंह पलैया महापौर थे। उनके कार्यकाल में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (एसपी) अनवेश मंगलम ने सभापति बाबा गंगाराम बघेल से कहा था कि नेता और पार्षद तो चोर होते हैं। ़सिभापति ने यह बात सभी पार्षदों को बताई। यह बात सुनते ही हमेशा एक-दूसरे के विरोध में रहने वाले भाजपा और कांग्रेस के नेता एक साथ हो गए। इसके बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि दूसरे दिन परिषद की बैठक में एसपी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया जाएगा। वहीं महापौर पलैया ने भी इस बात पर स्वीकृति दी और कहा कि वह अपने पार्षदों का अपमान किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह बात तत्कालीन आइजी विजय रमन को पता चली। उन्होंने मामले को शांत कराने के लिए महापौर से बात की, लेकिन परिषद एसपी से माफी मंगवाने पर अड़ गई। तब आइजी ने कहा वह एसपी की तरफ से माफी मांगते हैं। यह सुनने पर महापौर ने तत्काल लड्डू मंगवाए और सभी पार्षदों को खिलाकर मामले का पटाक्षेप करा दिया।
Posted By: anil tomar
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