Bronchiolitis spreading: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। ब्रोंकियोलाइटिस से पीड़त बच्चे हर दिन अस्पताल पहुंच रहे हैं। गुरुवार को भी कमलाराजा अस्पताल में दो बच्चे ब्रोंकियोलाइटिस के भर्ती हुए और दो बच्चे स्वस्थ होकर अपने घर पहुंचे। आइसीयू में ब्रोंकियोलाइटिस पीड़ित बच्चों की संख्या 37 बनी हुई है। हालांकि राहत की बात यह है कि अबतक कोई भी बच्चा गंभीर अवस्था तक नहीं पहुंचा। साथ ही शनिवार से गजराराजा मेडिकल कालेज के माक्रोबायोलाजी विभाग में एन्फ्लुएंजा व आरएसवी वायरस की जांच शुरू हो जाएगी। जिसके लिए किट की उपलब्धता हो चुकी है। जांच के लिए अब डाक्टरों से सैंपल मांगे जाएंगे।
हालांकि इधर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि डीआरडीई में भी एच3एन2 की जांच के लिए सैंपल भेजे जाएंगे। एच3एन2 वायरस की डीआरडीई में होगी जांच सीएमएचओ डा़ मनीष शर्मा का कहना है कि दिल्ली से स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन मिली है कि एच3एन2 की जांच के लिए सैंपल डीआरडीई भेजे जाएंगे, लेकिन उन्हीं मरीजों के सैंपल भेजे जाएंगे जो सी- कैटेगिरी में आते हैं। जैसे बुजुर्ग, गंभीर मरीज, गर्भवती महिला या आइसीयू में भर्ती मरीज की जांच कराई जाएगी। फिलहाल अभी इस तरह का कोई भी मरीज नहीं है, जिसका सैंपल भेजने हो, लेकिन आगे जरूरत पड़ी तो डीआरडीई में जांच कराई जाएगी। असल में एच3एन2 वायरस तेजी से फैल रहा है, जिसके लक्षण कोविड की तरह ही हैं। जिसमें सांस लेने की परेशानी व खांसी और बुखार के लक्षण आते हैं।
बच्चों को हो रही सांस संबंधी परेशानी द्यगजराराजा मेडिकल कालेज के बाल एवं शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा अजय गौड का कहना है कि छोटे बच्चे को कफ वाली खांसी, बुखार और सांस लेने में समस्या आ रही है। असल में बच्चे कफ बाहर नहीं निकाल पाते इस कारण यह कफ सांस नली के आसपास जम जाता है इससे सांस लेने में उन्हें परेशानी आती है। इससे घबराहट होती है और बेचैनी के चलते वह अधिक रोते व चिड़चिड़े हो जाते हैं। इस तरह की समस्या को ब्रोंकियोलाइटिस कहते हैं।
किट की उपलब्धता हो चुकी है। इससे 80 सैंपल की जांच की जा सकेगी। शुक्रवार को मशीन का केलीब्रेशन होगा जिसके बाद शनिवार से जांच शुरू कर दी जाएगी।
डा वैभव मिश्रा , प्रभारी माइक्रोबायाेलाजी विभाग
Posted By: anil tomar