
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। रोशनी और उमंग का त्योहार दीपावली इस बार कई परिवारों के लिए अंधकार का प्रतीक बन गया। कार्बाइड गन और पटाखों की चपेट में आकर 91 लोगों की आंखें चोटिल हो गईं। इनमें से कई को अपनी आंखों की रोशनी गंवानी पड़ी है। पांच दिनों में कार्बाइड गन से चोटिल मरीजों की संख्या 40 तक पहुंच गई। सबसे ज्यादा मामले युवाओं के हैं। चिकित्सकों के अनुसार, इन मरीजों में से 20 से अधिक लोगों की सर्जरी करनी पड़ी, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद कई की दृष्टि वापस नहीं लौट सकी।
त्योहार पर रोमांच के लिए युवाओं ने घरों में जुगाड़ से कार्बाइड गन बना ली। इस गन से आवाज निकालने के लिए कार्बाइड और पानी की रासायनिक प्रतिक्रिया से गैस उत्पन्न हुई जो धमाके के साथ निकली, लेकिन थोड़ी-सी असावधानी गंभीर हादसे में बदल गई।
जिम्मेदारी का बोझ, आंख की रोशनी छीन ले गया हादसा 15 वर्षीय ओम, जो अपने घर की जिम्मेदारी संभाल रहा था, अब अंधेरे की दुनिया में है। पिता का साया उठ जाने के बाद, मां मजदूरी कर घर चलाती थी। ओम अपने छोटे भाई के साथ मिलकर परिवार की आर्थिक मदद करता था।
दीपावली पर भाई के कहने पर उसने जुगाड़ की कार्बाइड गन चलाई और उसी के धमाके ने उसकी एक आंख की रोशनी हमेशा के लिए छीन ली। अब ओम जयारोग्य अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में भर्ती है। परिवार पहले से ही आर्थिक संकट में था और अब यह हादसा उनके लिए दोहरी मुसीबत बन गया है। किसी ने भी अभी तक परिवार की आर्थिक मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया है।
सूरज बच्चे की खुशी के लिए कार्बाइड गन चलाने की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच गन में विस्फोट हुआ और वह सूरज की आंख को क्षतिग्रस्त कर गया। स्वजन सूरज को उपचार के लिए जिला अस्पताल मुरार लेकर पहुंचे। यहां चिकित्सक ने चेकअप किया तो पता चला कि उनकी कार्निया सफेद पड़ चुकी थी। फिलहाल सूरज का उपचार चल रहा है।
उपनगर ग्वालियर के किलागेट इलाके में दुकानदार के पास दो धमाके और दो कार्बाइड गन मिलीं। कार्बाइड गन पर प्रतिबंध के आदेश के बाद से जिला प्रशासन और पुलिस सतर्क है। एसडीएम ग्वालियर सिटी प्रदीप शर्मा ने किलागेट पर दुकानदार हीरालाल झा के खिलाफ कार्रवाई कराई और ग्वालियर थाने में मामला दर्ज कराया गया। इसी बीच पुलिस को भी एक स्थाई वारंटी कार्बाइड गन लेकर मिला जिसका डालचंद पुत्र सीताराम है। पुलिस इससे पूछताछ कर रही है। एएसपी अनु बेनीवाल ने बताया कि कार्बाइड गन को लेकर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
जयारोग्य अस्पताल में कुल 16 घायल पहुंचे, जिनमें छह कार्बाइड गन से और 10 पटाखों से घायल थे। lजिला अस्पताल में पांच लोग कार्बाइड गन से और एक पटाखे से घायल हुआ। रतन ज्योति नेत्रालय में 20 कार्बाइड गन और 40 पटाखों से घायल मरीज पहुंचे। इनमें से 15 को तुरंत सर्जरी की आवश्यकता पड़ी।
थोड़ी सी लापरवाही ने बच्चों और युवाओं की जिंदगी को अंधकार में धकेल दिया। कार्बाइड गन और खतरनाक पटाखों के इस्तेमाल से आंख चोटिल होने के कई मामले अस्पतालों में पहुंचे हैं। जिला अस्पताल में ही पांच केस आए। -डॉ. गजराज सिंह गुर्जर, प्रभारी, नेत्र विभाग, जिला अस्पताल।