Gwalior Amrut Scheme: ग्वालियर.नईदुनिया प्रतिनिधि। अमृत योजना अब लोगों के लिए विष बन गई है। कागजों में डीएमए तैयार कर लिए गए और मनमर्जी से कनेक्शन दिए गए हैं। नवंबर माह में अपर आयुक्त आरके श्रीवास्तव व ठेकेदार पीयूष शर्मा की मौजूदगी में सभी 66 वार्डो के पार्षदों के 10-10 के समूह बनाकर समस्याएं सुनी गई थीं। इसमें ठेकेदार ने पार्षदों को आश्वासन दिया था कि 15 दिन में समस्याओं का निराकरण किया जाएगा, लेकिन आज तीन महीने गुजर चुके हैं और वार्डो में समस्या जस की तस है।

पार्षदों का कहना है कि अमृत योजना के तहत घटिया निर्माण कराया गया है। प्रतिदिन लाइनें फूट रही हैं। दावा किया गया था कि 12 मीटर तक बिना मोटर के पानी पहुंचेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। पानी और सीवर की लाइनें डालने के लिए सड़कों को खोदा गया, लेकिन उन्हें दोबारा बनाया नहीं गया है। कई इलाकों में टंकियां बनने और लाइनें डालने के बाद भी टैंकरों से पानी आ रहा है। अमृत योजना के तहत शहर में 732 करोड़ रुपए खर्च करके पानी एवं सीवर समस्या का निदान किया जाना था, लेकिन दोनों में से कोई भी समस्या अब तक पूरी तरह हल नहीं हो सकी है। सीवर लाइन भी चौक है। अमृत योजना के पेयजल प्रोजेक्ट में लगभग 800 किमी डिस्ट्रीब्यूशन लाइनें डाली गई है। इन लाइनों को डालने के लिए गली मोहल्लों की गलियां खोदी गईं। ठेकेदार को एक मीटर की गहराई में लाइन डालनी थी, लेकिन अधिकतर जगह दो फीट की गहराई पर पाइप डाल दिए गए। इन लाइनों से नीले रंग की पाइप लाइन जोड़कर लोगों के घरों तक कनेक्शन पहुंचा दिए, लेकिन घर के अंदर बिछी लाइन से इनका कनेक्शन नहीं किया गया। चूंकि नल कनेक्शन करने के लिए प्लंबर को बुलाना पड़ता है और प्लंबर कम से कम 1000 रुपए लेता है। इसलिए लोगों ने नया कनेक्शन कराने की वजह पुरानी लाइन से पानी लेना ही उचित समझा। वर्तमान स्थित में अगर सर्वे कराया जाए तो मात्र 50 प्रतिशत कनेक्शन ही चालू हालात में मिलेंगे।

Posted By: anil tomar

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