Gwalior BJP News: ग्वालियर, (नईदुनिया प्रतिनिधि) इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव का शंखनाद भाजपा व कांग्रेस प्रदेश की राजनीति का शक्ति केंद्र ग्वालियर-चंबल अंचल से संत रविदास जयंती पर कर रहीं हैं। दोनों दलों विधानसभा चुनाव घोष करने का दिन संत रविदास जयंती को चुना है। क्योंकि दोनों दलों के रणनीतिकारों की नजर अनुसूचित वर्ग के वोट बैंक पर है। जनादेश का शक्तिपूंज जिस दल को अंचल से मिलेगा, उसी दल के हाथ में प्रदेश सरकार की कमान होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रविवार को प्रदेश सरकार की विकास यात्रा का शुभारंभ भिंड जिले से कर चुनाव का शंखनाद करेंगे। प्रदेश कांग्रेस के मुखिया कमल नाथ भी रविदास जयंती पर पिछले चुनाव मृत कांग्रेस को आक्सीजन देने वाले अंचल की धरा से चुनाव का घोष करेंगे। यानि एक बार फिर ग्वालियर-चंबल अंचल प्रदेश की राजनीति का केंद्र बन गया है।
तीन दशक में दस साल प्रदेश में कांग्रेस का शासन रहा। दिग्विजय सिंह के 2003 के विधानसभा चुनाव का पहले कार्यकाल कांग्रेस अपनी स्मृति से डीलेट करने की लगातार कोशिश कर रही है। क्योंकि दिग्विजय सिंह की गलती नीतियों के कारण उत्पन्न हुये बिजली संकट के कारण प्रदेश अंधकार में डूब गया था। प्रदेश के कर्मचारियों व अधिकारियों का सरकार से विश्वास पूरी तरह से उठ गया था। भाजपा इसे भुनाने में सफल हुई। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने दिग्विजय सिंह का नामकरण मिस. बंटाढार किया। 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार कांग्रेस सरकार छीनने में सफल हुई। भाजपा ने शुरुआती झटकों के बाद प्रदेश सरकार की कमान शिवराज सिंह चौहान को सौपी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश का विश्वास जीतने में सफल रहे।
2018 के चुनाव में भाजपा ने ग्वालियर-चंबल अंचल में मात खा गई- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व भाजपा नीति निर्धारक 2018 के चुनाव में ग्वालियर-चंबल में मात खा गये। दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के चेहरे का जादू चल गया। दोनों अंचलों की 44 विधानसभा सीटों में कांग्रेस 27 सीटें जीतने में सफल हुई। और भाजपा को केवल सात और बसपा को एक सीट मिली। जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव की तस्वीर दूसरी थी। भाजपा को 34 में से 20 सीटें मिलीं थी। कांग्रेस को 12 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। दो सीटें भाजपा के खाते में गईं थीं।
अब कोई चुक नहीं
ग्वालियर-चंबल भाजपा का गढ़ रहा है। किंतु इस बार के विधानसभा चुनाव में कोई चूक करना नहीं चाहती है। इसलिये भाजपा का पूरा फोकस अंचल पर है। इसलिये विधानसभा चुनाव का शंखनाद अंचल से करने की तैयारी भाजपा ने की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसी लिये विकास यात्रा का शुभारंभ भिंड जिले से संत रविदास जयंती पर कर रहे हैं। हालांकि यह विकास यात्रा एक फरवरी को शुरु होनी थी, किंतु इसे एक रणनीति के तहत संत रविदास जयंती से शुरु किया जा रहा है। दूसरी तरफ आगामी विधानसभा चुनाव में थोड़ी मुश्किलें बढ़ी है। क्योंकि अंचल मेंं कांग्रेस को मजबूत आधार देने वाला चेहरा (ज्योतिरादित्य सिंधिया) अभी विरोधी खेमे हैं। इसके बाद कांग्रेस ने हार नहीं मानी है। अंचल में राजनीतिक जमीन को मजबूत आधार देेने के लिये पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ सोची-समझी रणनीति के तहत एट्रोसिटी सिटी एक्ट के कारण हुये जातीय संघर्ष का केंद्र रहे थाटीपुर के दशहरा मैदान से संत रविदास जयंती पर विधानसभा चुनाव का घोष करने जा रहे हैं। क्योंकि कांग्रेस की कसरत प्रदेश में कमजोर पड़ी बसपा के वोट बैंक अनुसचित वर्ग को अपने पाले में लाने की है। जिसके कारण संत रविदास जयंती अंचल में राजनीति का केंद्र बन गई है।
Posted By: anil tomar
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