Gwalior City Bus Service: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शहर में सिटी बस सेवा अब दम तोड़ती नजर आ रही है। इन बसों के संचालन के लिए न तो अधिकारियों में इच्छाशक्ति नजर आ रही है और न ही शहर विकास के लिए माननीय ही कोई ध्यान दे रहे हैं। इन बसों का संचालन कैसे सफल हो सकता है, इसको लेकर अधिकारियों के पास कोई विजन नहीं है। तमाम बार टैंपो और आटो के कलर कोड कराकर रूट तय करने और शहर के बाहरी इलाकों में संचालित करने की कवायदें कागजों में हुईं, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाने के कारण इसका खामियाजा सिटी बस सेवा को भुगतना पड़ रहा है। वर्तमान में स्थिति यह है कि ये बसें अब सवारियों से वंचित होकर बस स्टैंड पर ही खड़ी नजर आती हैं।

शहर में सिटी बसों के संचालन को लेकर माननीयों ने भी अपनी ओर से कोई प्रयास नहीं किए। न तो कभी निजी बस आपरेटरों से इस मामले में चर्चा की गई और न ही आटो-टैंपो यूनियनों से बातचीत कर इन बसों के सफल संचालन का कोई रास्ता निकाला गया। इसका कारण यह है कि न तो माननीय ही कोई सख्त कदम उठाना चाहते हैं और न ही अधिकारियों को इतना फ्री हैंड देते हैं कि वे कोई निर्णय लेकर बसों को चलवा सकें। माननीयों का कहना है कि आटो-टैंपो को सड़कों से हटाने पर कई लोगों का रोजगार खत्म हो जाएगा, लेकिन बसों का संचालन कैसे सफल हो सकता है, इसको लेकर उनके पास कोई जवाब नहीं है। शहर विकास के लिए विपक्ष के विधायकों ने भी इन बसों के संचालन को लेकर अपने सुझाव कई बार सामने रखे हैं, लेकिन राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के चलते इन सुझावों को सिरे से नकार दिया जाता है। नईदुनिया ने इस मुहिम के अंतर्गत जब जिले के प्रभारी मंत्री, विपक्षी विधायकों से बातचीत की, तो उनका कहना था कि इन बसों के संचालन के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

-चार में से सिर्फ एक रूट पकड़े हैं अधिकारी-

स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन के अधिकारी सिटी बस सेवा के संचालन के लिए लकीर के फकीर बने हुए हैं। इन बसों के संचालन के लिए शहर में कुल चार रूट प्रस्तावित हैं, लेकिन सिर्फ दीनदयाल नगर से लेकर महाराज बाड़ा तक ही बसों को चलाने में पूरी ताकत खर्च की जा रही है। इस एकलौते रूट पर पर्याप्त यातायात साधन उपलब्ध होने के कारण बसों को सवारी नहीं मिल रही है, जबकि बाकी के तीन रूट ऐसे हैं जहां लोगों को असल में सिटी बसों की जरूरत है। इनमें पुरानी छावनी से सागरताल होते हुए सिरोल, एयरपोर्ट से गुड़ा गुड़ी का नाका और पुरानी छावनी से महाराज बाड़ा के रूट शामिल हैं। इन बाकी तीन रूटों पर बसें चलाने के लिए अधिकारी कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं। इन रूटों पर बसें चलाने से लोगों को शहर में सिटी बसें नजर आने लगेंगी और उनका रुझान भी बढ़ेगा।

मैं बसों के लिए विशेष बैठक लूंगा

सिटी बसों का संचालन क्यों सफल नहीं है, इसके लिए हम अधिकारियों से जानकारी लेंगे। जहां तक आटो टैंपो की बात है, तो उन्हें बाहर करने से रोजगार खत्म होगा। विकास यात्राओं के बाद अधिकारियों के साथ विशेष रूप से सिटी बसों के लिए बैठक कर रास्ता निकाला जाएगा।

तुलसीराम सिलावट, प्रभारी मंत्री

मैं विधानसभा में मुद्दा उठाऊंगा

आटो-टैंपो और ई-रिक्शा के कारण सिटी बसें सफल नहीं हो रही हैं। मैंने पूर्व में भी बैठकों में सुझाव दिए थे कि स्थानीय स्तर पर ई-रिक्शा के लिए पालिसी बनाने की आवश्यकता है। मैं सिटी बस के मुद्दे को विधानसभा में उठाऊंगा। प्रयास करेंगे कि बसों का संचालन सफल हो सके।

प्रवीण पाठक, विधायक ग्वालियर दक्षिण

छोटी बसें चलानी चाहिए

स्मार्ट सिटी की सभी परियोजनाएं फेल हैं। बसों के संचालन के लिए जरूरी था कि 22 से 32 सीटर बसें ही चलाई जाएं। भोपाल में भी ऐसी बसें ही सफल हैं। हम शासन स्तर पर भी इस मामले को उठाएंगे कि बसों के संचालन के लिए विशेष प्रयास किए जाएं।

डा. सतीश सिंह सिकरवार, विधायक ग्वालियर पूर्व

Posted By: anil tomar

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