Gwalior consumer forum News: ग्वालियर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग(उपभोक्ता फोरम) में वर्ष 2022 में एक हजार 42 केस दायर हुए। सबसे ज्यादा केस स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से जुड़े हैं, उपभोक्ता इनकी सेवाओं से नाखुश रहे और अपने क्लेम के लिए फोरम का दरवाजा खटखटाया है। कोरोना के इलाज में उपभोक्ता का जो खर्च हुआ, उसका क्लेम कंपनी ने छोटी-छोटी कमियां बताकर खारिज कर दिया। उपभोक्ताओं ने अपने हक की लड़ाई फोरम में लड़ी और उनको जीत भी मिली। 2022 में देखा जाए तो 22.74 प्रतिशत केस स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से जुड़े हैं। वहीं दूसरे नंबर पर बिजली कंपनी से जुड़ मामले रहे। नईदुनिया ने फोरम में दायर हुए केसों के आंकड़ों का अध्ययन किया और बीमा कंपनियों के क्लेम खारिज करने के कारण पता किए।
इन आधार पर बीमा कंपनी ने खारिज किए क्लेम
- भर्ती के पर्चे पर मरीज का मोबाइल नंबर नहीं लिखा है। भर्ती होने की सूचना देने में देर कर दी।
- अस्पताल व डाक्टर उनकी लिस्ट में नहीं है।
- जो बीमारी है, उसका इलाज घर पर रहकर लिया जा सकता है। कोविड-19 के केसों में अधिकतर क्लेम इसी आधार पर खारिज किए गए हैं। फोरम ने फिर से क्लेम निर्धारित करने का आदेश दिया।
- 72 घंटे तक अस्पताल में भर्ती नहीं रहे हैं।
- अस्पताल ने मरीज का डेटा सही नहीं भरा। पर्चे पर तारीख सही से नहीं डाली। भर्ती की पूरी जानकारी नहीं लिखी।
बिजली के आकलित खपत से जुड़े केस आए
-बिजली कंपनी के बिलिंग से संबंधित केस दायर हो रहे हैं। जिसमें आकलित खपत, गलत मीटर रीडिंग आदि शिकायतों को लेकर उपभोक्ता पहुंच रहे हैं।
- उपभोक्ता के घर पर ताला लगा हुआ है, लेकिन बिजली कंपनी अपना बिल जारी रखे है। फोरम में मामला पहुंचा तो बिजली कंपनी ने बिल घटा दिया।
अन्य केसों 59 प्रतिशत रहे
फोरम में अन्य व विविध केसों की संख्या 59.60 प्रतिशत है। इन केसों में चिटफंड से जुड़े मामलों के केसों की संख्या अधिक है। कंपनियों ने लोगों का पैसा नहीं दिया है। लोग अपने पैसे के लिए फोरम में केस दायर कर रहे हैं।
- बैंकिंग के केस तीसरे नंबर पर हैं। खाते से पैसे काटने के केसों की संख्या अधिक है।
फैक्ट फाइल
पुराने केस-328
2022 में नए केस-1042
निराकरण- 269 केसों का
कुल लंबित केस-1101
केसों की स्थिति
सेक्टर प्रतिशत में
बीमा 22.74%
बिजली 4.41%
बैंकिंग 2.40%
इलेक्ट्रानिक्स 1.92%
हाउसिंग 1.63%
वित्त 1.54%
आटोमोबाइल 1.54%
मेडिकल 1.25
ई-कामर्स 0.67%
शिक्षा 0.48%
रेलवे 0.19%
टेलीकाम 0.19%
डाक 0.19%
अन्य 59.60%
इनका कहना है
- कोविड-19 के संक्रमण के बाद लोग स्वास्थ्य बीमा को लेकर जागरूक हुए हैं। पालिसियां भी बढ़ी हैं। पालिसी के बाद व्यक्ति ने बीमारी का क्लेम किया तो छोटी-छोटी बातों को लेकर कंपनी क्लेम को निरस्त कर रही है। फोरम में 90 प्रतिशत से ज्यादा केसों में पीड़ित के पक्ष में फैसला हुआ है, क्योंकि कंपनियों के बहाने फोरम में नहीं चल पा रहे हैं। फोरम में बीमा कंपनियों के खिलाफ ज्यादा केस आ रहे हैं।
- मनोज उपाध्याय, अधिवक्ता उपभोक्ता फोरम
Posted By: anil tomar
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