Gwalior Court News: ग्वालियर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाई कोर्ट की युगल पीठ ने उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें एकल पीठ ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग पर 50 हजार का हर्जाना लगाया था। दरअसल एमपीपीएससी ने 31 जुलाई 2017 को साइंटिफक अाफिसर के पद के लिए विज्ञापन जारी किया था। इस भर्ती में ऋषि पाठक व नीलेश लोखंडे सहित अन्य परीक्षार्थियों ने भाग लिया था। एमपीएससी ने 5 जनवरी 2018 को रिजल्ट घोषित किया तो ऋषि पाठक को अपात्र मान लिया था। जबकि 20 मार्च 2018 को इस पद के साक्षात्कार हुए तो ऋषि का चुनाव कर लिया और नीलेश लोखंडे को प्रतीक्षा सूची में डाल दिया। इसको लेकर नीलेश लोखंडे ने 2018 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की। नीलेश की ओर से तर्क दिया गयाा कि उसका अनुभव व योग्यता ऋण पाठक से अधिक है। लेकिन उनकी योग्यता को दरकिनार करते हुए पाठक का चयन किया है। गलत नियुक्ति की गई है। क्योंकि पद के लिए योग्यता नहीं है। एकल पीठ ने 26 सितंबर 2022 को आदेश दिया था कि एमपीएससी के आदेश निरस्त कर दिया और 50 हजार का हर्जाना लगाया था। इस आदेश को एमपीपीएससी ने युगल पीठ में रिट अपील दायर की थी।

प्रदीप वर्मा को राहत नहीं, हाई कोर्ट ने याचिका की खारिज

हाई कोर्ट की युगल पीठ ने नगर निगम के पूर्व सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) में दर्ज एफआइआर को चुनौती दी थी। वर्मा को हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिल सकी। ईओडब्ल्यू ने प्रदीप वर्मा को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर ईओडब्ल्यू ने न्यायालय में चालान पेश कर दिया। इस केस की ट्रायल हाई कोर्ट में चल रही है। वर्मा ने एफआइआर को निरस्त करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि उसे झूठा फंसाया गया है। इस केस का जो शिकायतकर्ता है, उसके ऊपर भी आपराधिक केस दर्ज हैं। जिस काम के लिए वह रुपये देना बता रहा है, उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं था। ईओडब्ल्यू ने एक पक्षीय कार्रवाई की है। ईओडब्ल्यू ने इस याचिका का विरोध किया, जिसके बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

Posted By: anil tomar

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