Gwalior Court News: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने संदिग्ध परिस्थिति में गर्भवती की मौत की जांच का मामला सीबीआइ को सुपुर्द किया है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले में बरती गई लापरवाही किसी भी तरह से माफी योग्य नहीं है। इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई आवश्यक है। पुलिस के आचरण को देखते हुए उससे निष्पक्ष विवेचना की उम्मीद नहीं की जा सकती है इसलिए मामले की विवेचना केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) से कराया जाना उचित है।
सीबीआइ को आदेशित किया जाता है कि तत्काल इस केस की विवेचना प्रारंभ करें। साथ ही स्थानीय पुलिस को आदेशित किया जाता है कि प्रकरण से संबंधित समस्त दस्तावेज सीबीआइ को सुपुर्द करे। सीबीआई मामले में विधि अनुसार विवेचना करते हुए कार्रवाई करें। क्या है मामला रामनिवास ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। उनकी ओर से अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने तर्क दिया कि 31 मई 2022 को याचिकाकर्ता ने अपनी पुत्री नीतू का विवाह ग्राम दहेली में ध्रुव सिंह के साथ किया था। ससुरालजनों ने जो दहेज मांगा था, वह भी पूरा दिया। याचिकाकर्ता की बेटी चार माह की गर्भवती भी थी। नीतू को दहेज के लिए परेशान किया जाने लगा, लेकिन 10 अक्टूबर 2022 को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सांप के डंसने की वजह से मौत बताई गई है।
पुलिस ने केवल दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज किया है। यह जघन्य अपराध है। पुलिस आरोपितों को बचाने का प्रयास कर रही है। मृतक चार महीने की गर्भवती थी, लेकिन रिपोर्ट में उसका उल्लेख नहीं किया। शरीर में जहर नहीं पाया गया। जिस स्थान पर सांप का काटना बताया, उसकी स्थान की जांच नहीं कराई गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बिना जांच किए हुए ही डाक्टरों ने इस आशय की राय दे दी कि मृतिका को सांप ने काटा है जबकि काटने वाली जगह की स्किन को निकालकर जांच के लिए नहीं भेजा गया।
Posted By: anil tomar
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