कमलाराजे चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से पेश किया गया है दावा, तीन फरवरी को जारी होगा आदेश

Gwalior Court News:ग्वालियर (नप्र)। अपर सत्र न्यायालय ने सोमवार को उस दावे की सुनवाई की, जिसमें केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने एजी आफिस पुल की जमीन का मुआवजा मांगा है। कोर्ट ने यह कहते हुए ट्रस्ट का जवाब देने का हक समाप्त कर दिया कि कई मौके दिए जा चुके हैं। केस को पांच साल से अधिक का समय हो गया है। चिह्नित 25 केस की सूची में यह केस शामिल है। जवाब देने के लिए ट्रस्ट काफी समय ले चुका है, अब समय नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने आदेश के लिए तीन फरवरी की तारीख निर्धारित की है। केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने दावा पेश करने के लिए कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट के विजय सिंह फालके को अधिकृत किया है। ट्रस्ट ने चार जून 2018 में मुआवजे का दावा पेश किया था। उनकी ओर से तर्क दिया वादी की भूमि पर शासन ने रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कर दिया है। शासन ने वादी की भूमि पर अतिक्रमण किया है। दावे में तर्क दिया है लोकनिर्माण विभाग ने जो सड़क का निर्माण किया है, उसमें निजी भूमि भी चली गई। जमीन का अधिग्रहण प्रस्ताव तैयार किया जाए। ट्रस्ट का गठन 1971 में हुआ था।

इन तीन सर्वे नंबरों से निकली है पुल व सड़क

महलगांव के सर्वे क्रमांक 1071, 1072, 1073 खसरों में शासकीय दर्ज है। लैड रिकार्ड की साइट पर तीनों सर्वे का स्टेट्स शासकीय दर्ज है। खसरे में पीडब्ल्यूडी का आम रास्ता लिखा हुआ है। मिसिल बंदोबस्त में दर्ज स्थिति से ही जमीन का मालिकाना हक तय होता है। मिसिल बंदोबस्त संवत 1997 सर्वे क्रमांक 1071 में 10 विश्वा जमीन, 1072 में एक बीघा चार विश्वा जमीन, 1073 में चार बीघा जमीन पर रेल की पटरी, सड़क व बंजर भूमि के नाम से दर्ज है। इन्हीं सर्वे नंबर की जमीन का मुआवजा ट्रस्ट द्वारा मांगा गया है।

माधवराव ने किया था पुल का उद्घाटन

पुल की प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद 1987 में निर्माण शुरू किया गया था। द्यपुल का निर्माण पूर्ण करने का वर्ष 1991 निर्धारित किया गया था। द्यस्व. माधवराव सिंधिया ने इस पुल का शुभारंभ किया था।

Posted By: anil tomar

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