- एजी आफिस पुल की जमीन के मुआवजे का मामला
Gwalior Court Newsरू ग्वालियर. (नईदुनिया प्रतिनिधि)। अपर सत्र न्यायालय में गुरुवार को गुरुवार को उस दावे की सुनवाई होगी। जिसमें केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट (वादी) ने एजी आफिस पुल की जमीन का मुआवजा मांगा है। प्रशासन को दावे के संबंध में जवाब देना है। यदि प्रशासन जवाब नहीं देता है तो कोर्ट आगे की कार्रवाई कर सकता है। वहीं दूसरी ओर इस मामले में शासन की ओर से पैरवी करने वाले अपर लोक अभियोजक की शिकायत भी शासन स्तर पर की गई है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि जिस अधिवक्ता को शासन की ओर से पैरवी जिम्मेदारी दी है, वही सिंधिया के अन्य दावों में पैरवी कर चुके हैं। शिकायतकर्ता का आरोप है कि ये वास्तविक तथ्यों को छिपा सकते हैं, जिसके चलते प्रशासन अलग से अधिवक्ता नियुक्त करे।
ज्ञात है कि पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने शासन के आवेदन को खारिज करते हुए कहा था कि वादी को दस्तावेजों की कूटरचना का मौका दे रहा है। शासन ने अनावश्यक आवेदन पेश कर करके कोर्ट का जो समय खराब किया है, उसके लिए 200 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने शासन को आदेश दिया है नौ फरवरी तक वाद का जबाव पेश किया जाए। यदि जबाव नहीं दिया जाता है तो अागे की कार्रवाई की जाएगी।
क्या है मामला
कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने एजी आफिस पुल का मुआवजा मांगा है। ट्रस्ट की ओर से 4 जून 2018 में मुआवजे का दावा पेश किया है, उसे पेश करने के लिए सिंधिया ने ट्रस्ट के सचिव विजय सिंह फालके को अधिकृत किया है। दावे में तर्क दिया है कि वादी की भूमि पर शासन ने रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कर दिया गया है। वादी की भूमि पर अतिक्रमण शासन ने निर्माण किया है। लोक निर्माण विभाग ने जो सड़क का निर्माण किया है। उसमें निजी भूमि भी चली गई है। इसलिए इस जमीन का अधिग्रहण प्रस्ताव तैयार किया जाए, जिससे जमीन का मुआवजा मिल सके। वादगस्त भूमि का 7 करोड़ 55 हजार रुपए 12 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाया जाए। वाद में तर्क दिया है कि 31 दिसंबर 1971 को विजयराजे सिंधिया ने ट्रस्ट का गठन किया था। विजयराजे सिंधिया ने वादग्रस्त भूमि ट्रस्ट को दी थी। इस ट्रस्ट की चैयरमेन माधवीराजे सिंधिया हैं। ट्रस्टी के पद पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियदर्शनी राजे सिंधिया हैं।
इन तीन सर्वे नंबर की जमीन का मांगा जा रहा है मुआवजा
महलगांव के सर्वे क्रमांक 1071, 1072, 1073 खसरों में शासकीय दर्ज है। लैड रिकार्ड की साइट पर तीनों सर्वे क्रमांक का स्टेट्स शासकीय दर्ज है। खसरे में पीड्बल्यूडी का आम रास्ता लिखा हुआ है। मिसिल बंदोबस्त में दर्ज स्थिति से ही जमीन का मालिकाना हक तय होता है। मिसिल बंदोबस्त संवत 1997 सर्वे क्रमांक 1071 में 10 विश्वा जमीन, 1072 में 1 बीघा 4 विश्वा जमीन, 1073 में 4 जमीन रेल की पटरी, सड़क, बंजर के नाम से दर्ज है। इन्हीं सर्वे नंबर की जमीन का मुआवजा मांगा है। पुल का निर्माण 1987 में शुरू हुआ था और 1991 में शुभारंभ किया गया था।
Posted By: anil tomar