Gwalior JAH News: ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। अंचल का सबसे बड़ा जयारोग्य अस्पताल में विभागों के लिए शासन से आवंटित फंड को ठिकाने लगाने का काम चल रहा है। हजार बिस्तर अस्पताल में ओपीडी,आइपीडी व आइसीयू शिफ्ट होने पर काफी बिल्डिंग खाली हो चुकी हैं। जेएएच में पत्थर वाली बिल्डिंग,आइसीयू भवन और माधव डिस्पेंसरी खाली पड़ी है। इसके बाद भी दवा स्टोर के लिए न्यूरोलाजी के सामाने कक्ष तैयार किया जा रहा है। इसी तहर से पिछले 4 महीने में जेएएच प्रबंधन वाहन पार्किंग के लिए अस्पताल में जगह चिन्हित नहीं करा सका। पार्किंग के नाम पर केवल वसूली अभियान चल रहा है। जिससे मरीज व उनके अटेंडेंटों काे परेशानी उठानी पड़ रही है।
सेंट्रल स्टोर के लिए बन रहा कक्ष
पीजी हास्टल के सामने जेएएच में सेंट्रल स्टोर स्थित है। प्रबंधन का कहना है कि आग लगने से स्टोर में जगह की कमी है। जिसके चलते सेंट्रल स्टोर से 50 मीटर दूर पत्थर वाली बिल्डिंग के पीछे स्टोर तैयार किया जा रहा है। जबकि माधव डिस्पेंसरी भी सेंट्रल स्टोर से इतनी ही दूरी पर है और वहां पर बल्लवभाई दवा स्टोर संचालित होता था जो खाली पड़ा हुआ है। उसे भी सेंट्रल स्टोर के लिए उपयोग किया जा सकता था। इसके अलावा पत्थरवाली बिल्डिंग पूरी खाली पड़ी हुई है,जिसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है।
4दिन बाद भी नहीं लगवा सके बैनर-पोस्टर
प्रबंधन के अनुसार जयारोग्य अस्पताल व हजार बिस्तर में भर्ती मरीज के अटेंडेंट के लिए वाहन पार्किंग निशुल्क है। इसके लिए प्रबंधन की ओर से जेएएच में कहीं पर भी बैनर या पोस्टर नहीं लगाया गया जिससे मरीज के अटेंडेंट को इसकी जानकारी हो सके। इसी का फायदा उठाकर ठेकेदार शुल्क वसूल कर रहा है। भर्ती मरीज के अटेंडेंट को दोंनेा परिसर में जाना पड़ता है इसलिए उनकी सुविधा की बात करते हुए 30 रुपये का पास एक दिन के लिए बनाकर दिया जाता है। यदि कोई मरीज अधिक दिन भर्ती रहता है उसके अटेंडेंट को ठेकेदार की ओर से 100 रुपये का पास पांच दिन के लिए बनाया जा रहा है। जबकि प्रबंधन का कहना है कि यह गलत है। वहीं 10 रुपये की पर्ची 24 घंटे के लिए मान्य है फिर भी ठेेकेदार के लोग वाहन चालक से चार घंटे पार्किंग करने के बाद दुगना शुल्क वसूल करते है।
इनका कहना है
जेएएच में दवा खरीद से लेकर मारम्मत के नाम पर लूट खसोट चल रही है। बजट उन दवाओं की खरीद पर खर्च कर दिया जाता है जिनका उपयोग कम होना है, जिनकी आवश्यकता अधिक होती है उसके लिए बजट को रोना रोया जाता है। निर्धारित बेंडरों से ही अमृत के तहत खरीद चल रही है। निर्माण की आवश्यकता क्यों जब भवन खाली पड़े हैं, असल में सरकार का फंड ठिकाने लगाना है।
प्रवीण पाठक, विद्यायक कांग्रेस
अस्पताल के प्रवेश द्वारों पर बैनर पोस्टर लगाने निर्देश दिए है जिससे मरीज के अटेंडेंटों को पता रहे कि कितना शुल्क देना है। यदि ऐसा हो रहा है ताे ठेकेदार के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। न्यूरोलाजी के सामने स्टोर तैयार किया जा रहा है। क्योंकि सेंट्रल स्टोर में जगह की कमी है इसलिए आवश्यकता थी।
डा देवेन्द्र कुशवाह, सहायक अधीक्षक जेएएच
Posted By: anil tomar
- Font Size
- Close