ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। जीआर मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी में शुरु हुई सात प्रकार की जांच के लिए सैंपल पहुंचने लगे हैं। प्रतिदिन मरीजों के सैंपल की जांच की जा रही है जिसमें बीमारी का पता चल रहा है। डा वैभाव मिश्रा का कहना है कि जो जांच यहां नहीं होती थी जिस कारण से मरीज को समय पर उपचार नहीं मिल पाता थ। अब जांच होने से समय पर सही उपचार मिलने लगा है। हर दिन हैपेटाइटिस ए,ई के मरीज एक या दो मिल रहे हैं इसी तरह से दिमागी बुखार की जांच होने से उसके कारण का भी पता चल रहा है और उपचार भी तेजी से मिलने लगा है जिससे मरीज स्वस्थ्य हो रहे हैं। गौरतलब है कि जीआर मेडिकल कालेज के माइक्राेबायोलाजी विभाग में सात प्रकार की जांच शुरू की गई है। यह जांच अब तक जयारोग्य अस्पताल में नहीं होती थी। इस कारण से मरीजों काे जांच के लिए बाहर कराना होता था, पर अब इन जांच की सुुविधा मेडिकल कालेज में शुरू की गई है। अस्पताल से बाहर जाकर मरीज जांच के नाम पर भारी भरकम राशि चुकाता था।पर अब मरीज को इन जांच के लिए कम शुल्क देना पड़ेगा जबकि कुछ जांच निशुल्क रहेंगी।
माइक्रोबायलोजी विभाग प्रभारी डा वैभव मिश्रा ने बताया कि न्यूरो-9 की आरटीपीसीआर जांच हैपीटाइटिस बी और सी आरटीपीसीआर,हैपीटाइटिस ए और ई एलाइजा,साइटोमेगालो वायरस , एपस्टीन बार वायरस की जांच जीआर मेडिकल कालेज की माइक्राबायोलाजी लैब में शुरू कर दी गई हैं। इनमें से कोई भी एक जांच निजी लैब पर कराने पर मरीज के 5 से 10 हजार रुपये खर्च होते हैं। पर मेडिकल कालेज में कम शुल्क या फिर निशुल्क की जाएंगी।
साइटोमेगालो वायरस क्या है
साइटोमेगालोवायरस सबफ़ैमिली बीटाहेरपेस्विरिने में, हर्पीसविरिडे परिवार में, हर्पीसविरालेस के क्रम में वायरस का एक जींस है। मनुष्य और बंदर प्राकृतिक मेजबान के रूप में कार्य करते हैं। इस जींस में 11 प्रजातियों में मानव बीटाहेरपीसवायरस 5 शामिल है, जो वह प्रजाति है जो मनुष्यों को संक्रमित करती है।
एपस्टीन बार वायरस क्या है
एपस्टीन-बार वायरस, जिसे औपचारिक रूप से ह्यूमन गैम्माहेरपीसवायरस 4 कहा जाता है, हर्पीज परिवार में नौ ज्ञात मानव हर्पीसवायरस प्रकारों में से एक है, और यह मनुष्यों में सबसे आम वायरस में से एक है। ईबीव्ही एक डबल स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है। इसे संक्रामक मोनोन्यूक्लिओसिस के कारण के रूप में जाना जाता है।
न्यूरो 9 की आरटीपीसीआर से जांच
न्यूरो 9 की जांच दिमागी बुखार का पता लगाने के लिए की जाती है। यह जांच अब तक जयारोग्य अस्पताल की पैथालोजी में नहीं होती थी। इसकी जांच कराने के लिए मरीज को बाहर जाना पड़ता था और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था। पर अब यह जांच मेडिकल कालेज की माइक्राेबायोलाजी में शुरु की गई है।
हैपेटाइटिस ए,बी,सी और ई की जांच शुरू
हैपेटाइटिस के अलावा हैपेटाइटिस ए आर ई का एलाइजा टेस्ट और हैपेटाइटिस बी और सी का आरटीपीसीआर जांच शुरू की गई है। हेपेटाइटिस एक बीमारी है जो यकृत की सूजन का कारण बनती है और इसे नुकसान पहुंचाती है। अगर अनियंत्रित होता है, तो यह यकृत की विफलता या यकृत कैंसर का कारण बन सकता है, जो कि घातक हो सकता है। मुख्य रूप से 4 वायरस इस बीमारी के कारक माने जाते हैं –ए, बी, सी और ई। जिनकी जांच शुरु की गई है।
Posted By: anil tomar
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