- कार्यपरिषद की बैठक कल, नर्सिंग व टेंडर मामले को लेकर हो सकता है हंगामा
ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जीवाजी विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्यों के विरोध के बाद 20 करोड़ के टेंडर नहीं खुल सके, लेकिन सदस्यों के विरोध को शांत करने के लिए कार्यपरिषद की बैठक में शासन के उस पत्र को रखा जाएगा, जिसमें शासन ने कहा है कि जेयू अपना पैसा खर्च कर सकता है। शासन से मिलने वाले पैसे को जेयू वापस ले सकता है। 20 करोड़ से कंप्यूटर लैब व अन्य सामान की खरीद होनी है।
29 जनवरी को कार्यपरिषद की बैठक बुलाई गई है। यह बैठक लंबे समय बाद बुलाई गई है। बैठक बुलाने के लिए कार्यपरिषद सदस्यों ने राजभवन व राज्य शासन को शिकायत की थी। कार्यपरिषद की बैठक का एजेंडा भी जारी कर दिया गया है। इस एजेंडे में 25 बिंदु शामिल किए गए हैं। इस बैठक में हंगामे के आसार हैं। क्योंकि जेयू के नर्सिंग कांड व 20 करोड़ के टेंडरों को लेकर सदस्य प्रदर्शन कर रहे हैं। जेयू ने अभी तक नर्सिंग की रिपोर्ट ईसी मेंबरों को नहीं दिखाई है। वे इस मामले को पुलिस के पास ले जाना चाहते हैं। इसके अलावा जेयू ने 20 करोड़ के टेंडरों को पांच बार खोलने का प्रयास किया, जिस पर बार-बार आपत्ति के बाद टेंडर रुक सके। इन्हीं दो मुद्दों को लेकर कार्यपरिषद सदस्य विरोध में हैं।
इसलिए कर रहे विरोध
- शासन ने 20 करोड़ रुपये का फंड स्वीकृत किया है, लेकिन शासन से पैसा जेयू के पास नहीं आया है। जेयू के खजाने से पैसे खर्च करना चाहते हैं, लेकिन ईसी मेंबरों का कहना है कि परिषद से पैसे को खर्च करने की इजाजत नहीं दी है। न बजट में इसका प्रावधान किया गया है। जब शासन का पैसा आ जाए, तब उसे खर्च किया जाए। जेयू का पैसा खरीद में खर्च न किया जाए।
-20 करोड़ में से पांच करोड़ रुपये कंप्यूटर लैब पर खर्च होने हैं। 13 करोड़ का अन्य सामान खरीदा जाना है। शेष पैसे निर्माण कार्य पर खर्च किए जाएंगे।
- जेयू का नर्सिंग कांड काफी चर्चित रहा है। इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किए जाने के पीछे तर्क दिए जाने लगे हैं कि उसे राजभवन भेज दिया गया है। कार्यपरिषद सदस्यों ने पूरे कांड का खुलासा किया था। इस रिपोर्ट की मांग बैठक में उठाने की तैयारी है।
इनका कहना है
शासन की ओर से एक पत्र आया है कि अभी फंड नहीं है। जब तक संस्थान अपना पैसा खर्च कर सकता है। कार्यपरिषद की बैठक में इस पत्र को रखा जाएगा।
आनंद मिश्रा, कुलसचिव जेयू
जब शासन से पैसा ही नहीं आया है तो जेयू का पैसा क्यों खर्च किया जा रहा है। पैसा आ जाए, तब उसे खर्च किया जाए। इसलिए आपत्ति दर्ज कराई है। 20 करोड़ के टेंडर पर पांच बार आपत्ति कर चुके हैं।
मनेंद्र सोलंकी, कार्यपरिषद सदस्य जेयू
Posted By: anil.tomar
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