Gwalior Municipal Corporation News: ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। नगर निगम में नामातंरण की प्रक्रिया तीन माह से ठप पड़ी है। इसकी वजह हाई कोर्ट में नामांतरण प्रकरणों का प्रचलन में होना है। इसके चलते निगम में ढाई हजार से अधिक प्रकरण लंबित हो गए हैं। लेटलतीफी के चलते आमजन निगम की संपत्तिकर शाखा में पहुंचकर नामातंरण के लिए अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं। नामातंरण नहीं होने का कारण अखबारों में प्रकाशित विज्ञप्ति (विज्ञापन) के भुगतान भी नहीं हो पा रहे हैं।
नगर निगम ने नामातंरण कराने के लिए आवेदक को दो अखबारों में विज्ञप्ति प्रकाशित करने का नियम बनाया था। इसके लिए निगम हितग्राही से पैसे जमा कराकर अखबारों में नामातंरण की आपत्ति की विज्ञप्ति प्रकाशित कराती है। इसी दौरान हाई कोर्ट में नामातंरण की विज्ञप्ति को लेकर एक याचिका दायर की गई। इसमें हाई कोर्ट ने विज्ञप्ति के भुगतान पर रोक लगा दी। इसके चलते नगर निगम ने विज्ञप्ति प्रकाशित कराना बंद कर दी, जबकि निगम वर्तमान में नामातंरण के लिए आवेदन करने वाले लोगों से विज्ञप्ति के पैसे जमा करा रहा है। इधर हाई कोर्ट की रोक के कारण विज्ञप्ति प्रकाशित नहीं करा पा रही है। इसके चलते नामातंरण विगत तीन माह से लंबित पड़े हुए हैं।
लोग नहीं बेच पा रहे मकान: कई मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जिसमें लोगों को किसी न किसी मजबूरी के कारण अपना पुश्तैनी मकान बेचना है, लेकिन उसकी रजिस्ट्री परिवार के बुजुर्ग लोगों के नाम है। इसका नामातंरण कराया जाना है, लेकिन नामातंरण नहीं होने के कारण वह मकान नहीं बेच पा रहे हैं।
वर्जन
नामातंरण की विज्ञप्ति के भुगतान पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा रखी है। इसके कारण नगर निगम भुगतान नहीं कर पा रहा है। लोगों का पैसा नगर निगम के पास जमा है। वर्तमान में 2500 से अधिक प्रकरण नामातंरण के लंबित हैं। इस मामले को लेकर मैं सोमवार को निगमायुक्त से मुलाकात कर मामले को हल कराने का प्रयास करूंगा।
जगदीश अरोरा, उपायुक्त संपत्तिकर
Posted By: vikash.pandey
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