- जिला पंचायत के वार्ड 8 से सामने आया अजब मामला
-विशेषज्ञ बोले-निर्वाचन प्रक्रिया के साथ जनता से भी की जा रही धोखाधड़ी
देवेंद्र समाधिया. शिवपुरी-ग्वालियर जिला पंचायत के वार्ड -8 से चुनाव लड़ रहीं मीरा जाटव नाम की महिला प्रत्याशी न सिर्फ चुनाव आयोग को बल्कि जनता को भी धोखा देकर चुनाव मैदान में ताल ठोक रही हैं। जिला पंचायत सदस्य के रूप में पर्चा भरने वाली महिला मीरा अलग है और जिस मीरा नाम की महिला का प्रचार हो रहा है वह अलग है। नईदुनिया की पड़ताल में खुलासा हुआ कि बतौर प्रत्याशी जिस महिला ने फार्म भरा था, वह मीरा पत्नी उदयभान है, जबकि बतौर प्रत्याशी प्रचार मीरा पत्नी दीनदयाल जाटव का किया जा रहा है। यह पूरा खेल इसलिए रचा गया है कि मीरा पत्नी दीनदयाल शहरी क्षेत्र की मतदाता हैं और वे नामांकन नहीं भर सकती थीं। इसलिए उन्होंने अपने ही नाम की महिला को डमी प्रत्याशी के रूप में खड़ा कर दिया और मैदान में खुद चुनाव लड़ रही हैं। बताया जा रहा है कि क्षेत्र के पूर्व विधायक द्वारा समर्थित हैं इसलिए वहां पर अधिकांश लोग चुप्पी साधे हैं।
जिला पंचायत सदस्य के रूप में जिस महिला मीरा पत्नी दीनदयाल का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। वह नरवर के नगर परिषद क्षेत्र में वार्ड क्रमांक-10 की रहने वाली है। नाम नगर परिषद क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज है। नियमानुसार नगरीय क्षेत्र में रहने वाला व्यक्ति ग्राम पंचायत क्षेत्र में जाकर चुनाव नहीं लड़ सकता है। मीरा का पति दीनदयाल जाटव गांव-गांव जाकर अपनी पत्नी मीरा के लिए गांव वालों से वोट मांग रहा है जबकि मीरा ने बतौर प्रत्याशी फार्म ही नहीं भरा है। निर्वाचन क्षेत्र में जो बैनर पोस्टर लगाए गए हैं, उन पर भी मीरा दीनदयाल को बतौर प्रत्याशी दिखाया गया है। जबकि वास्तविकता में मीरा उदयभान प्रत्याशी है और उन्हें ही बैलगाड़ी का चुनाव चिन्ह मीरा उदयभान को आवंटित किया है। निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन क्षेत्र में नजर बनाए रखने के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं। सब कुछ सामने होने के बावजूद वे गड़बड़ी नहीं पकड़ पाए हैं।
आप तो यह मान लीजिए कि चुनाव हम ही लड़ रहे हैं। जो प्रत्याशी मीरा जाटव खड़ी हुई हैं वह हमारी समर्थक हैं। इसलिए हम प्रचार भी कर रहे हैं।
मीरा दीनदयाल जाटव
एक व्यक्ति जो निर्वाचन की प्रक्रिया में बतौर प्रत्याशी शामिल नहीं हुआ है, इसके बावजूद जनता के बीच खुद को प्रत्याशी के रूप में प्रचारित कर रहा है तो यह आइपीसी की धारा में धोखाधड़ी का मामला है। इसके अलावा निर्वाचन आयोग ने जो चुनाव चिन्ह किसी अन्य व्यक्ति को आवंटित किया है उसका उपयोग वह खुद के चुनाव चिन्ह के रूप में कर रहा है तो यह मामला निर्वाचन संहिता में प्रथक से अपराध है। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया जाना चाहिए।
संजीव बिलगैयां, एडवोकेट
Posted By: anil tomar
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