Malnourished children News: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। सरकार ने कुपोषण को मिटाने के मकसद से जो न्यूट्रिशन एंड रिहेबिलेशन सेंटर (एनआरसी) स्थापित कराए थे, वे अब खाली पड़े हैं। हकीकत यह है कि एनआरसी में एक बच्चा है और पूरे पलंग खाली हैं। जनवरी में चार बच्चे ही एनआरसी में आए थे, जबकि यहां 20 बच्चे रखे जाने की क्षमता है। भितरवार और केआरएच के एनआरसी का भी यही हाल है। इसके पीछे कारण यह बताया गया है कि बीमार कुपोषित बच्चों को ही एनआरसी में रखे जाने का नियम है और जो गंभीर कुपोषित या कुपोषित हैं उन्हें आंगनबाड़ी केंद्र पर ही दवा व पोषण आहार दिया जा रहा है। हकीकत यह है कि महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से बीमार कुपोषित बच्चों को ट्रैक कर एनआरसी ही नहीं भेजा जा रहा है, इसीलिए हर सप्ताह विभाग को एनआरसी सेंटर से बच्चों को भेजने के लिए पत्र भेजे जा रहे हैं।
एनआरसी: भवन, स्टाफ, संसाधन, डाक्टर का क्या काम, जब बच्चे नहीं: एनआरसी सेंटर पर डाक्टर, स्टाफ, संसाधन सबकुछ है, लेकिन जब बच्चे ही नहीं हैं तो यह क्या काम करेंगे। जनवरी में थाटीपुर एनआरसी में तीन से चार बच्चों को इलाज मिला, तो स्टाफ संसाधन पर होने वाला खर्च किस काम आएगा। एनआरसी सेंटर वह जगह है जहां कुपोषण की रोकथाम की जा सकती है। आंगनबाड़ियों के भरोसे कुपोषण को मिटाने के प्रयास पहले भी देखे जा चुके हैं।
एक बच्चा, मां बोली- एनआरसी में बढ़ा वजन
नईदुनिया टीम ने एनआरसी सेंटर थाटीपुर में जायजा लिया तो यहां एक ही बच्चा भर्ती मिला। बच्चे की मां ने बताया कि वह हजीरा से 12 दिन पहले यहां आईं हैं और एनआरसी में बच्चे की देखभाल चल रही है। जन्म के साथ बच्चे का वजन कम था, इसलिए कुपोषण की चपेट में आ गया। यहां एनआरसी में इतने दिनों में लगभग पौन किलो वजन बढ़ गया है। इससे यह पता चलता है कि एनआरसी सेंटर कितने महत्वपूर्ण हैं।
सवाल: आंगनबाड़ी टीम क्या कर रही
बीमार कुपोषित बच्चों को एनआरसी तक पहुंचाने के लिए आंगनबाड़ी की टीम का सबसे बड़ा रोल है। एनआरसी में बच्चे नहीं पहुंच रहे, इसका मतलब आंगनबाड़ी की टीम काम नहीं कर रही। बच्चों को डिटेक्ट करना चाहिए, क्योंकि ऐसा तो नहीं है कि ग्वालियर में बीमार कुपोषित बच्चे अब बचे ही नहीं है।
एनआरसी पर जटिल स्थिति वाले कुपोषित बच्चों को भेजा जाता है। एनआरसी से पत्र प्राप्त हुए हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व टीम कुपोषित बच्चों को केंद्र पर ही आहार व दवा आदि देते हैं। जटिल बच्चों को लाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। राहुल पाठक, जिला कार्यक्रम अधिकारी, ग्वालियर एनआरसी सेंटर में बच्चे नहीं हैं, हम हर सप्ताह परियोजना अधिकारी को पत्र लिखकर बच्चों को भेजने की मांग करते हैं। हमारे यहां पूरी व्यव्स्थाएं हैं, लेकिन बच्चे नहीं होंगे तो कुछ नहीं किया जा सकता है।
डा. सचिन श्रीवास्तव, प्रभारी, एनआरसी, थाटीपुर
Posted By: anil tomar