- यह है होटल और गेस्ट हाउस की परमिशन में अंतर
ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शनिवार रात होटल साया इन में आग लगने से सनसनी फैल गई। आग पर काबू पाने के लिए दमकल विभाग को मौके पर बुलाया गया था। जबकि होटल एवं गेस्ट हाउस का नियम है कि उन्हें अपने यहां पर फायर फाइटिंग सिस्टम लगाना होता है। नईदुनिया की पड़ताल में सामने आया कि शहर में करीब 180 से 190 होटल व गेस्ट हाउस संचालित हो रहे हैं। इनमें से केवल 35 से 40 होटलों के पास ही फायर एनओसी है। शेष होटल भी गेस्ट हाउस की परमिशन पर चल रहे हैं। उनके पास फायर एनओसी तक नहीं है। इसके अलावा इन गेस्ट हाउस और होटलों के के बेसमेंट में पार्किंग होनी चाहिए, जिसे उन्होंने विवाह समारोह स्थल और सामान रखने का ठिकाना बना रखा है। अगर आगजनी की घटना ऐसे होटल अथवा गेस्ट हाउस में हो जाए तो बचाव के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधन तक नहीं हैं। शनिवार की रात को होटल साया इन में आग लग गई थी। आग लगने के दौरान होटल के ग्राउंड फ्लोर पर मंगनी का कार्यक्रम चले रहा था। आग लगने से उठे धुंए के कारण लोगों में हड़कंप मच गया। हड़बड़ी में लोगों ने प्रथम मंजिल से छलांग तक लगा दी, जिससे उनके पैरों में चोट आई हैं।
होटल और गेस्ट हाउस की परमिशन में काफी अंतर है
होटल के लिए कम से कम छह हजार स्क्वायर फीट का क्षेत्रफल चाहिए होता है। इसके साथ ही होटल के सामने करीब 40 मीटर की चौड़ी सड़क होनी चाहिए। वह कामर्शियल जगह पर होना चाहिए। होटल के अंदर रेस्टोरेंट होने चाहिए। जबकि गेस्ट हाउस की परमिशन दो हजार से अधिक के भूखंड पर मिल जाती है। यहां पर बेसमेंट में पार्किंग होनी चाहिए।
आवासीय परमिशन पर बना दिए गेस्ट हाउस:
शहर में इस समय 85 प्रतिशत गेस्ट हाउस आवासीय परमिशन पर संचालित हो रहे हैं। यहां पर लोगों ने दो भूखंडों को मिलाकर उन पर आवासीय परमिशन लेकर अवैध तरीके से गेस्ट हाउस खडे कर दिए हैं।
गेस्ट हाउस की परमिशन पर संचालित हो रहे हैं होटल
अधिकांश होटल, कालोनियों में संचालित हो रहे हैं। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के नियमों के अनुसार किसी भी कालोनी में होटल, गेस्ट हाउस परमिशन नहीं दी जा सकती है। इसके बाद भी शहर में धड़ल्ले से गेस्ट हाउस, होटल आदि संचालित हो रहे हैं और इनमें विवाह समारोह आदि के आयोजन किए जा रहे हैं।
जिन होटलों में बार उन पर ही है एनओसी
जिन होटलों में बार संचालित होते है, उनके पास ही फायर की एनओसी है, क्योंकि इस एनओसी के बाद ही आबकारी विभाग बार संचालित करने की इजाजत देता है।
होटल के बेसमेंट में गद्दों से भड़की चिंगारी
अधिकांश होटलों के पास फायर की एनओसी नहीं है। जिस प्रकार अस्पतालों में पहुंचकर जांच की गई थी उसी प्रकार होटलों की भी जांच की जाएगी। जिससे इन्हें अग्निकांड के समय सुरक्षित बनाया जा सके।
विवेक दीक्षित, फायर आफिसर ननि
शहर में अधिकांश गेस्ट हाउस आवासीय परमिशन पर पूर्व में बन चुके हैं। इस बार टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का जो नियम आए हैं उनके हिसाब से कंपाउंडिंग के जरिए इन्हें वैध कराने की कार्रवाई की जाएगी।
बीके त्यागी, सहायक सिटी प्लानर
Posted By: anil.tomar
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