Negligence in hospital in Gwalior: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। 397 करोड़ की लागत से अंचल के सबसे बड़े हजार बिस्तर अस्पताल में मरीजों के लिए हजार परेशानियां हैं। करोड़ों की लागत से तैयार अस्पताल में मरीजों के लिए स्ट्रेचर तक नहीं हैं। हालात यह है कि एक जगह से दूसरी जगह तक लाने ले जाने के लिए मरीज को चादर पर बैठाकर खींचकर ले जाना पड़ता है।
साइकिल से गिरने पर ससुर विपिन ओझा के पैर की हड्डी टूट गई। इसी का इलाज कराने के लिए एक महिला अपने ससुर का उपचार कराने के लिए शुक्रवार को हजार बिस्तर अस्पताल के आर्थोपेडिक विभाग की ओपीडी में पहुंची। आर्थोपेडिक विभाग में डाक्टर ने परामर्श दिया कि उसे जेएएच के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया जाए। जब महिला ने ससुर को ओपीडी से बाहर तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर की तलाश की तो नहीं मिला। तब उसने साथ में लेकर आई चादर को जमीन पर बिछाया और उस पर ससुर को बैठाकर खुद उस चादर को खींचकर सी-ब्लाक के बाहर तक लेकर गई। जहां पर किराए से आटो कर 800 मीटर दूर जेएएच के ट्रामा सेंटर पहुंची। यह पूरा नजारा वहां पर मौजूद डाक्टर, गार्ड सभी ने देखा पर किसी ने उसे एक स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं कराया, क्योंकि हजार बिस्तर अस्पताल में स्ट्रेचर की उपलब्धता नहीं थी।
स्ट्रेचर की उपलब्धता है पर ओपीडी के समय मरीजों का भार अधिक होता है उस वक्त हो सकता है कि कुछ समय के लिए स्ट्रेचर न हो। मुख्य गेट पर उपलब्धता रहती है।
डा़ बालेन शर्मा, सहायक प्रबंधक, हजार बिस्तर अस्पताल
Posted By: anil tomar
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