Noise Increasing: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शहर की सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों से होने वाला शोर परेशान कर रहा है। टैक्सी, टेंपो, दो व चारपहिया वाहनों का शोर दर्द दे रहा है, लेकिन इस दर्द से निजात कैसे मिले, इस परजिम्मेदार कोई बात नहीं कर रहे। लोग भी नए वाहनों को माडिफाइड करा रहे हैं, तेज आवाज वाले साइलेंसर से लेकर डबल हार्न तक लगवा रहे हैं। बिना सर्विस के वाहन सड़क पर दौड़कर शोर मचा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार विभाग इस पर नजर तक नहीं डालते, जबकि यातायात पुलिस हर दिन शहर के चौराहे व तिराहों पर वाहनों की चेकिंग करते हुए दिखाई देती है। इसके बाद भी उनके कानों तक वाहनों का शोर नहीं पहुंचता है। यही कारण है कि डग्गामार और कंडम वाहन सड़कों पर फर्राटे भर रहे हैं खुलेआम शोर मचाकर दर्द दे रहे हैं।

कंडम वाहनों से ज्यादा शोर

मैकेनिकल इंजीनियर कमल अग्रवाल बताते हैं कि सरकार ने 15 साल पुराने वाहनों को सड़क से हटाने का निर्णय लिया है, लेकिन अब भी 15 साल से अधिक पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। असल में पुराने हो चुके इन वाहनों के अंजर पंजर ढीले हो चुके होते हैं। जिन्हें सुधारने में लागत ही इतनी लगेगी जितने में नया वाहन खड़ा हो जाता है। इसलिए लोग इसमें कोई सुधार भी नहीं कराते। केवल इंजन में आयल व डीजल डालकर दौड़ाते रहते हैं और यह वाहन शोर करते रहते हैं। ऐसा नहीं कि कंडम वाहनों में निजी वाहन ही शामिल हैं, बल्की सरकारी वाहनों की संख्या भी कम नहीं है।

क्या करें

- वाहनों की सर्विस समय पर कराएं।

- प्रेशर वाले हार्न न लगवाएं।

- वाहन काे माडिफाइड न कराएं।

- साइलेंसर न बदलवाएं।

- जाम में होने पर बार-बार हार्न का प्रयोग न करें।

- लगातार हार्न व अनावश्यक हार्न का प्रयोग न करें।

बिना सर्विस वाहन करता है शोर

शिंदे की छावनी में वाहन सुधारने का काम करने वाले सुनील बताते हैं कि बिना सर्विस के वाहन का इंजन गर्म होने लगता है। इससे वाहन की ताकत भी कम होती है और इंजन गर्म होने से आवाज करने लगता है। यदि समय पर सर्विस कराई जाए तो वाहन का एवरेज और पावर दोनों मेंटेन बनी रहती है, लेकिन लोग समय पर सर्विस न कराकर टालते रहते हैं। पुराने वाहनों की हालत और भी बुरी होती है, क्योंकि लोग सर्विस पर भी पैसा खर्च करने से बचते हैं।

वाहनों के प्रेशर हार्न

दो व चार पहिया वाहन से लेकर टैक्सी वाले प्रेशर वाले हार्न लगवा रहे हैं। बुलेट व अन्य वाहनों को भी लोग माडिफाइड कराते हैं। शिंदे की छावनी में काम करने वाले आरिफ का कहना है कि यहां पर हर दिन युवा अपनी बाइक में कोई न कोई बदलाव जरूर कराते हैं जिसमें हार्न व साइलेंसर अधिक लोग बदलवाते हैं। जिससे तेज आवाज आने लगती है। इसी तरह टैक्सी वाले प्रेशर हार्न अधिक लगवाते हैं और इन टैक्सी में लगा साउंड सिस्टम भी तेज ध्वनि में बजता है।

पुलिस समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाती है और कार्रवाई भी करती है। अब प्रभावी ढंग से फिर अभियान चलाकर लोगों को जागरूक भी किया जाएगा और कार्रवाई भी की जाएगी। अमित सांघी, एसएसपी वाहनों से होने वाला शोर मानसिक परेशानी दे रहा है। अधिक शोर में रहने से लोग तनाव में आ जाते हैं। सिर दर्द व कम सुनाई देने जैसी परेशानी अक्सर लोगों में देखी जा रही है। यह सब अधिक शेार में रहने के कारण होता है।

डा अमन किशोर मनोरोग विशेषज्ञ

Posted By: anil tomar

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