Noise Increasing: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शहर में मुख्य मार्गों पर स्थित अस्पतालों में भर्ती बच्चों से लेकर बुजुर्ग व गंभीर मरीजों को सड़क से गुजरने वाले वाहनों का शोर मानसिक वेदना दे रहा है। इन मार्गों पर आटो, टेंपो, दो व चार पहिया वाहन के साथ-साथ भारी वाहनों का शोर 90 डेसीबल से भी अधिक रहता है। खुद डाक्टर भी स्वीकार करते हैं कि वाहनों के शोर का प्रतिकूल असर मरीजों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। सवाल है कि जिम्मेदारों के कानों तक यह शोर व मरीजों की चीख क्यों नहीं पहुंचती।
ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के मानकों के अनुसार अस्पताल का परिसर व मुख्य प्रवेश द्वार शांत क्षेत्र में होना चाहिए, जिसका तय माप दिन में 50 और रात में 40 डेसीबल तक रहे। इन्हीं मार्गों से होकर मरीज अस्पताल में प्रवेश करते हैं और तमाम जांचों के लिए आवागमन भी करना होता है। वहीं शहर में अस्पतालों के बाहर शोर का माप औद्योगिक क्षेत्र के अधिक 90 डेसीबल तक पहुंच रहा है।
जानें शहर में अस्पतालों के बाहर कहां-क्या है शोर का डेसीबल
1- जिला अस्पताल, मुरार
समय: शाम चार बजे
स्थिति: मुरार में जिला अस्पताल मुख्य मार्ग पर स्थित है। इस मार्ग से निकलने वाले वाहनों के चलने से उठने वाली धूल व धुआं के साथ होने वाला शोर मरीजों के दर्द को बढ़ा रहा है। बुधवार को जिला अस्पताल के बाहर 84 डेसीबल तक का शोर था, यह निर्धारित मापदंड से दो गुना है।
2-प्रसूतिगृह मुरार
समय: शाम 4:30 बजे
स्थिति: मुरार में स्थित प्रसूतिगृह में गर्भवती महिलाएं भर्ती रहती हैं। प्रसव के बाद नवजात शिशु भी उनके साथ रहते हैं। शिशु के बीमार होने पर उन्हें पीआइसीयू में भर्ती रखना पड़ता है। इस मार्ग पर शोर का माप 91 डेसीबल तक था, जो नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य के लिए घातक है।
3-कमलाराजा अस्पताल
समय: दोपहर 12 बजे
स्थिति: कमलाराजा अस्पताल में गर्भवती महिलाओं से लेकर छोटे बच्चों को भर्ती कर उपचार दिया जाता है। शोर से नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है। यदि शोर अधिक हो तो मरीजों की सुनने की क्षमता कम हो सकती है। यहां बुधवार को शोर का माप 80 डेसीबल तक था, जो मरीजों के लिए परेशानी बढ़ाने वाला है।
4-हजार बिस्तर अस्पताल
समय: दोपहर 12:30 बजे
स्थिति: हजार बिस्तर अस्पताल के बाहर भी वाहनों का आवगमन अधिक रहता है। यहां से आटो, टेंपो, बस आदि वाहन गुजरते हैं। बुधवार को हजार बिस्तर अस्पताल के बाहर 72 डेसीबल तक शेार मापा गया। भारी वाहन के हार्न से यह शोर 90 डेसीबल तक पहुंच रहा था।
5-सिविल अस्पताल हजीरा
समय: शाम पांच बजे
स्थिति: सिविल अस्पताल हजीरा में भी हर उम्र के मरीज भर्ती रहते हैं। यह पर छोटे बच्चों से लेकर वयस्क मरीजों का उपचार किया जाता है। मुख्य मार्ग पर स्थित इस सिविल अस्पताल के बाहर बुधवार को शोर 80 डेसीबल तक मापा गया। यह भी निर्धारित मापदंड से अधिक है, जो मरीजों को मानसिक तवान को बढ़ता है।
कहां पर कितना होना चाहिए ध्वनि प्रदूषण-
स्थान दिन रात
औद्योगिक क्षेत्र 75 70
कामर्शियल क्षेत्र 65 55
आवासीय क्षेत्र 55 45
शांत क्षेत्र 50 40
आप भी जानें कब-कितना डेसीबल शोर होता है
शोर का स्रोत डेसीबल शोर की स्थिति
रेफ्रिजरेटर 40 सामान्य
तेज बारिश 50 सामान्य से अधिक
बातचीत 60 तेज
कार 70 अधिक तेज
ट्रक 80 अति तीव्र
हेयर ड्रायर्स 90 अत्याधिक तीव्र
हेलिकाप्टर 100 असहनीय
ट्राम्बोन 110 असहनीय
पुलिस सायरन 120 असहनीय
जेट प्लेन 130 असहनीय
फायरवर्क 140 दर्दनाक तीव्रता
एक्सपर्ट व्यू
वातावरण में शोर अधिक हो तो मरीज को सिर दर्द, घबराहट और कई तरह की परेशानियां पैदा करता है। वाहनों में तेज हार्न के उपयोग पर लगाम लगना चाहिए, क्योंकि वाहनों में निर्धारित मापदंड से अधिक शोर करने वाले हार्न लगे होते हैं, जिनसे मरीजों में तनाव बढ़ता है।
डा. दिनेश उचाड़िया, विशेषज्ञ पर्यावरण, एडवांस एनवायरमेंटल टेस्टिंग एंड रिसर्च लैब
मरीज मानसिक रूप शांत होता है तो जल्द स्वस्थ होता है, लेकिन शोर अधिक होने पर बीमारी ठीक होने में अधिक समय लगता है। बच्चों पर इसका तेजी से प्रतिकूल असर होता है, इसीलिए तो शांत क्षेत्र में अस्पताल बनाए जाते हैं। अस्पताल के बाहर काफी अधिक शोर रहता है, जो मरीजों को परेशान करता है। हालांकि मरीज वार्ड में रहते हैं, इसलिए थोड़ी राहत रहती है।
डा. आलोक पुरोहित, आरएमओ, जिला अस्पताल
Posted By: anil tomar
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