ग्वालियर.नईदुनिया प्रतिनिधि। एयरफोर्स परिसर नीलगाय से परेशान है इसको लेकर नीलगाय को मारने को लेकर प्रस्ताव रखा गया है। वन विभाग नीलगाय को मारने के अलावा भी विकल्प पर काम कर रहा है। प्रस्ताव की स्वीकृति का भी इंतजार किया जा रहा है। बैंगलुरू के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा एयरबेस ग्वालियर ही है। यहां सामरिक महत्व के दृष्टिकोण से अहम विमान व संसाधन हैं। कुछ समय पहले हुई सर्जीकल स्ट्राइक में भी ग्वालियर एयरबेस ने अपनी भूमिका निभाई थी। ऐसे में एयरबेस पर नीलगाय का आना खतरे से खाली नहीं होता है। इसलिए नीलगाय के प्रवेश को रोकने क लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
ग्वालियर एयरबेस काफी बड़े हिस्से में फैला हुआ है। इसका मुख्य एरिया, आवासीय एरिया के साथ जंगल क्षेत्र भी है, जहां हरियाली काफी है। इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा नीलगाय हैं, जो पूरे एयरबेस परिसर में निकलती रहती हैं। तार फेंसिंग से लेकर बाउंड्रीवाल तक को नीलगाय नुकसान पहुंचा रही हैं। एयरफोर्स के महत्वपूर्ण विमानों को रन-वे पर काफी ध्यान रखना पड़ता है।एयरफोर्स के जंगल क्षेत्र से नीलगाय आ जाती हैं। अभी तो छोटी बाउंड्री है वह तोड़ देती हैं और फेंसिंग भी नहीं रोक पा रही है। वन विभाग ने बड़ी और पक्की बाउंड्री बनाकर रोके जाने का भी विकल्प दिया है।नीलगाय को मारने की अनुमति अभी बिहार में है। बिहार में नीलगाय व जंगली सुअर को मारा जा सकता है। मप्र में जनवरी में राज्य सरकार की ओर से नीलगाय व जंगली सुअर को मारने की अनुमति का प्रस्ताव बनाया गया है, जिस पर सुुझाव लिए जा रहे हैं, निर्णय होना बाकी है। किसानों की फसल खराब कर देने के कारण नीलगाय परेशानी का कारण हैं। प्रदेश में वर्ष 2000 और 2003 में नीलगाय व जंगली सुअर के शिकार पर सख्ती करने के लिए निर्णय लिए गए थे, इसके बाद से कोई नीलगाय नहीं मारी गई।
Posted By: anil.tomar
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