ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। बारिश में बीमारियों से बचें और खुद का ख्याल रखें। बारिश के मौसम में बीमारियां जन्म लेती है। खराब खानपान से शरीर में पहुंचने से शरीर को कमजोर करती हैं और बीमार बना देती है। इससे बचने के लिए खाने-पीन संबंधी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
चिकनगुनिया - चिकनगुनिया भी मच्छरों से फैलने वाला बुखार है, जिसका संक्रमण मरीज के शरीर के जोड़ों पर भी होता है और जोड़ों में तेज दर्द होता है। इससे बचने के लिए जलजमाव से बचें, ताकि उसमें पनपने वाले मच्छर बीमारी न फैलाएं।
वायरल फीवर- बारिश के मौसम की सबसे आम समस्या है। बरसात के मौसम में सर्दी – जुकाम , खांसी , हल्का बुखार और हाथ पैरो में दर्द या सिर में दर्द आदि ये सब वायरल इंफेक्शन होना दर्शाते है। बारिश मे भीगने , ठंडी हवा से , तापमान परिवर्तन नींद पूरी न होने आदि के कारण प्रतिरक्षा तंत्र कुछ कमजोर हो जाता है। इससे हवा में फैले वायरस या दूषित और अशुध्द खाने पीने के सामान आदि के कारण वायरल फीवर हो जाता है। वायरल बुखार के लक्षण महसूस होने लग जाते है। तुलसी के पत्ते -4 , काली मिर्च -4 और अदरक -एक छोटा टुकड़ा कूटकर डेढ़ कप पानी में उबालें। छान कर चाय की तरह पीयें। इससे बहुत आराम मिलता है।
बारिश में जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है इसके लिए एक चम्मच शहद में आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ मिलाकर दिन में एक बार लें। इसके लगातार उपयोग से भूख सामान्य रहेगी और जोड़ों का दर्द नहीं सतायेगा।भीगने से बचें , कपड़े गीले हो तो तुरंत बदल लें। पौष्टिक भोजन ले। विटामिन सी युक्त फल आदि लेने से प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत रहता है। अतः इनका जरूर उपयोग करें।आपके आस पास के किसी व्यक्ति को सर्दी जुकाम हो तो सावधान रहें। उससे आपको लग सकता है। ऐसे व्यक्ति से हाथ मिलाया हो तो हाथ साबुन से धो लें। सड़क पर मिलने वाले खाने पीने के सामान से सावधान रहें। दस्त लगने की समस्या अक्सर बरसात के मौसम ( वर्षा ऋतु ) में हो जाती है। ये दूषित खाने पीने के सामान या गंदा पानी पीने से होता है।
इस मौसम में ई-कोलाई , साल्मोनेला , रोटा वायरस , नोरा वायरस का संक्रमण बढ़ जाता है। जिसके कारण पेट व आँतों में सूजन और जलन होकर उल्टी दस्त आदि की शिकायत हो जाती है।साधारण रूप से दस्त 4-5 दिन में ठीक हो जाते है। दस्त में रक्त आता हो और पेट में मरोड़ उठती हो तो ये पेचिश हो सकती है। छोटे दूध पीते बच्चे ( शिशु ) को दूध की बोतल की सफाई सही तरीके से ना होने के कारण दस्त हो सकते है।
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