Swachh Survekshan 2023: ग्वालियर . नईदुनिया प्रतिनिधि। शहर को इंदौर की तर्ज पर सजाने-संवारने में जुटे नगर निगम के अधिकारी सफाई व्यवस्था को बेहतर नहीं बना पा रहे हैं। शहर की प्रमुख सड़कों को तो प्रतिदिन चमका दिया जा रहा है, लेकिन मोहल्लों और गलियों में कचरा पटा पड़ा है।
जहां निगमायुक्त खुद निरीक्षण करने के बाद गंदगी मिलने पर नाराजगी जता चुके हैं, वहां भी कूड़ा नहीं हटाया जा रहा है। यह हाल तब है, जबकि स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के लिए क्वालिटी कंट्रोल आफ इंडिया की टीम जल्द शहर में आने वाली है और सफाई पर ही प्रतिमाह करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अगर शहर की सफाई व्यवस्था नहीं सुधरी, तो इस बार भी सर्वेक्षण की रैंकिंग में शहर पिछड़ सकता है।
स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए कुल 9500 नंबर तय किए हैं
केंद्रीय आवास एवं शहरी मंत्रालय ने इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए कुल 9500 नंबर तय किए हैं। पिछली सर्वेक्षण में 7500 अंक थे, जिसमें 5205 अंक मिले थे और देश में 18वीं रैंक था। इसमें सफाई में नंबर कम मिले थे। इसे सुधारने की कोशिशों का असर धरातल पर नजर नहीं आ रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के लिए अलग से अंक निर्धारित किए गए हैं। सफाई मित्रों की सुरक्षा के लिए स्वच्छता टूल किट में 950 अंकों का प्रावधान किया गया है। इसके बावजूद शहर में 75 माइक्रोन से पतली सिंगल यूज पालीथिन का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। साथ ही सफाई मित्रों से असुरक्षित तरीके से नाले-नालियों की सफाई कराई जा रही है। उन्हें आवश्यक उपकरण भी नहीं दिए गए हैं। अभी तक सार्वजनिक स्थल कचरा मुक्त नहीं हो सके हैं। लोग नाले-नालियों में कचरा फेंक रहे हैं। सूखे-गीले व अन्य श्रेणी के कचरे का भी अलग-अलग सेग्रीगेशन नहीं हो पा रहा है। निगम की ओर से प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर भी कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। लोग धड़ल्ले से प्लास्टिक का उपयोग कर रहे हैं।
Posted By: anil tomar
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