Tales of city government in Gwalior: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। वर्ष 1984-85 में ग्वालियर नगर निगम के महापौर डा. धर्मवीर शर्मा थे, उस समय कर्मचारियों की समस्या को लेकर नगर निगम में विवाद चल रहा था। निगम के कर्मचारी उस समय हड़ताल पर चले गए थे। उस दौरान परिषद में विवाद को देकर चर्चा की जा रही थी, तब कर्मचारी भी परिषद में पहुंच गए थे। यहां काफी हंगामा हुआ था, हालात मारपीट तक पहुंच गए थे। नगर निगम परिषद में महापौर डा. धर्मवीर शर्मा तत्कालीन निगमायुक्त धर्मवीर सिंह को हटाने का प्रस्ताव लेकर आए थे। इसके बाद भी जब शासन द्वारा निगमायुक्त को नहीं हटाया गया तो महापौर सभी पार्षदों को साथ लेकर सीधे राज्यपाल के पास पहुंच गए थे। वहां पर उन्होंने अपनी समस्या बताई, जिसके बाद निगमायुक्त को हटाया गया।
शहर के विकास पर बैठकर सभी दल के नेता करते थे चर्चाः वर्ष 1961 में कांग्रेस के तत्कालीन जिलाध्यक्ष डा. रघुनाथ राव पापरीकर ग्वालियर के महापौर थे। उनके कार्यकाल के दौरान परिषद में जनसंघ की ओर से नारायण कृष्ण शेजवलकर, हिंदू महासभा की ओर से डा. कमल किशोर, डा. भारद्वाज आदि नेता थे। डा. पापरीकर के पुत्र अभय राव पापरीकर ने बताया कि नगर निगम की परिषद में पहले भी सभी राजनीतिक दलों के नेता अपने-अपने क्षेत्र व पार्टी की नुमाइंदगी करते थे। समय-समय पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगाते थे, लेकिन शहर विकास के मुद्दे पर सभी एक हो जाते थे। पहले घर पर बैठकर एक-दूसरे से सलाह करते थे। इसके बाद सभी की सहमति से निर्णय लिया जाता था। यही नहीं सभी एक-दूसरे की पार्टी के नेताओं का सम्मान करते थे। पक्ष-विपक्ष बात को ध्यान से सुनते थे और तवज्जो भी देते थे। यही वजह थी कि पहले परिषद में शहर विकास को लेकर आरोप-प्रत्यारोप कम होते थे और योजनाओं पर जल्द सर्वसम्मति से निर्णय ले लिया जाता था।
बिना अनुमति के घरों पर खुलेआम लगाए जा रहे बैनर पोस्टरः नगरीय निकाय निर्वाचन को लेकर निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित कार्यक्रम और आदर्श आचार संहिता का पालन कराने के लिए समस्त प्रत्याशियों को निर्देशित किया गया है। बावजूद उसके भितरवार में प्रत्याशियों के द्वारा भवन स्वामियों कि बगैर अनुमति के जगह-जगह होर्डिंग, बैनर, पोस्टर लगाए जा रहे हैं। जिसकी न तो भवन स्वामी से अनुमति ली जा रही है और न ही रिटर्निंग आफिसर कार्यालय में उसका लेखा-जोखा दिया जा रहा है। जिसके चलते प्रत्याशियों के द्वारा खुलेआम आदर्श आचार संहिता के नियमों की अनदेखी की जा रही है। जबकि रिटर्निंग आफिसर एसडीएम अश्वनी कुमार रावत निरंतर प्रत्याशियों को बैठक लेकर नियमित रूप से लेखा जोखा प्रस्तुत करने एवं अनुमति पत्र प्रस्तुत करने के संबंध में कह चुके हैं।
Posted By: vikash.pandey
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