ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार पंचायत चुनाव के बाद नगरीय निकाय चुनाव तय माने जा रहे हैं। वार्डों के आरक्षण के बाद भाजपा व कांग्रेस में पार्षद व महापौर के प्रत्याशियों की चयन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। कांग्रेस भी पार्षदी के लिये टिकिट देगी। इस बार फ्री आल के आधार पर चुनाव नहीं लड़ेगी। इस बार बसपा के साथ-साथ नगरीय निकाय चुनाव में आप पार्टी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिये चुनावी रण में होगी। अभी न तो वार्डों का आरक्षण हुआ है और नहीं राजनीतिक दलों ने प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया शुरू की है। इसके बावजूद भी दोनों दल के दावेदारों ने अपने-अपने वार्डों में लोगों के घरों में दस्तक देना शुरू कर दी है। अपने दल के चुनाव-चिन्ह के साथ पर्चे भी बांटना शुरू कर दिये है। इसलिए इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों की बाढ़ से आने की उम्मीद है। दोनों दलों के बागी उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में नजर आएंगें। दोनों दल बागवत को रोकने के लिये रणनीति बना रहे हैं।
कोई समस्या तो नहीं है पार्षद के टिकिट के दावेदारों ने अपने वार्डों में सक्रियता बढ़ा दी है। सुबह से ही दावेदार लोगों के घरों में दस्तक देना शुरू कर देते हैं। दावेदार लोगों से पूछ रहे हैं कि कोई समस्या तो नहीं है। पानी तो समय मिल रहा है। सीवर चौक तो नहीं है। सफाई कर्मचारी तो रोज आते हैं। अपने-अपने वार्डों में सफाई करा रहे हैं। आयुष्मान कार्ड, वोटर कार्ड की पूछ रहे हैं। सड़क व सीवर लाइन बदलवाने की समस्या बताने पर दावेदार वादा कर रहे हैं कि बस चुनाव के बाद सबसे पहले आपकी समस्या का समाधान कराया जाएगा। इन दावेदारों ने अपने क्षेत्र के लोगों से रिश्ते निकालने के साथ नये रिश्ते बनाने शुरू कर दिये। किसी को अंकल-आंटी ताऊ, दादा-दादी व भैया-भाभी बनाकर संवाद कर रहे हैं अभी से फोटो, नाम वायोडाटा व वादों के पर्चे बांट रहे हैं। इन पर पार्टी का चुनाव चिन्ह भी है। यह पर्चे संपर्क कर बांटे जा रहे हैं।
वार्डों के व्हाट्सअप ग्रूप बनाये
दावेदारों ने अपने-अपने वार्डों के प्रमुख लोगों के मोबाइल नंबर लेकर व्हाट्स ग्रूप बना लिये हैं। क्षेत्र के नागरिक के सोकर उठने से पहले सुबह की नमस्ते से लेकर अपनी जानकारी भेज रहे हैं। इसके बाद यह भी भेज रहे हैं। आज उन्होंने किस मोहल्ले, किस कालोनी व बाजार में क्या काम कर रहे हैं।
दावेदारों की फौज देखकर राजनीतिक दल भी चिंतित
प्रत्येक वार्ड में पांच से सात दावेदार नजर आ रहे हैं। कुछ वार्डों में इससे अधिक संख्या है। दावेदारों की संख्या ने राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है। भाजपा व कांग्रेस के प्रमुख नेता स्वीकार कर रहे हैं। आठ साल बाद रहे चुनावों के कारण दावेदारों की संख्या बढ़ गई है। निश्चिततौर पर पार्टी से टिकिट नहीं मिलने पर कुछ पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। इससे संभावना है कि इस चुनाव निर्दलीय संख्या अधिक हो सकती है।
Posted By: anil.tomar
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