
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। प्रदेश की आर्थिक और औद्योगिक राजधानी और तेजी से मेट्रोपोलिटन बनने की दिशा में दौड़ रहे शहर में हुई आग की घटना ने यहां के संसाधनों की पोल खोलकर रख दी। औद्योगिक क्षेत्र में एक केमिकल कारखाने में लगी आग को नियंत्रित करने में जिम्मेदारों के पसीने छूट गए, संसाधनों ने दम तोड़ दिया। धमाकों के साथ आग की लपटें आसमान छूने को बेताब हुई तो मजबूरी में पीथमपुर, महू, सांवेर, देपालपुर और बेटमा से पानी के टैंकर और फायरकर्मी बुलवाना पड़े। गनीमत यह रही कि आग रात के समय लगी थी। यह घटना दिन के समय होती तो बड़ी अनहोनी हो सकती थी।
घटना सांवेर रोड़ के ए-सेक्टर की है। सोमवार रात करीब दो बजे एमपीडी इंडस्ट्रीज के कारखना में आग लगी। बताया जा रहा है कि कारखाना में कलर बनाने के केमिकल बनते है। टैंकों में भारी मात्रा में केमिकल और अन्य ज्वलनशील पदार्थ भरे हुए थे। अचानक लगी आग ने मिनटों में विकराल रूप ले लिया। आग बुझाने के संसाधन सीमित होने से आग तेजी से फैलने लगी। कुमेड़ी कांकड़ (फायर स्टेशन) से एसआइ बलजीतसिंह हुड्डा पानी की गाड़ी लेकर पहुंचे और आग बुझाने का प्रयास शुरू किया जो नाकाफी साबित हुए। आग तेजी से फैलते हुए केमिकल के टैंकों तक पहुंच गई। इसके बाद देर तक कारखाने से धमाके की आवाज आती रही। हर एक धमाके के साथ आग की लपटे बढ़ती जा रही थी। देखते ही देखते पूरा कारखाना आग की चपेट में आ गया।
आग कितनी भयावह थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आग की वजह से उठे धूल के गुबार 20 किमी दूर से दिखाई दे रहे थे। घटना की गंभीरता को देखते हुए निगमायुक्त दिलीप यादव, अपर आयुक्त रोहित सिसोनिया और फायर अधिकारी विनोद मिश्रा को मौके पर पहुंचना पड़ा। घंटों के प्रयास के बावजूद जब आग नियंत्रित नहीं हुई तो पीथमपुर, महू, देपालपुर, बेटमा, सांवेर फायर स्टेशन से भी फायर फाइटर बुलाना पड़े। मंगलवार सुबह आग नियंत्रित तो हुई लेकिन पूरी तरह बुझाई नहीं जा सकी। आग नियंत्रित करने में लाखों लीटर पानी और एक हजार किलो फोम का इस्तेमाल करना पड़ा। जिस कारखाने में आग लगी थी, उसमें कलर बनाने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल तैयार किए जाते हैं।
कंपनी के वेब साइट पर प्रणव पटेल, सेवंत नगीन भाई पटेल, आयुष पटेल और सुरेश कश्यप को डायरेक्टर बताया गया है। एक महिला ने बताया कारखाना में पहले भी आग लग चुकी है। 25 साल पुरानी गाड़ियां और गिनती के फाइटर के भरोसे आग बुझाने की कोशिश अग्निकांड ने फायर ब्रिगेड और नगर निगम के सुरक्षा संसाधनों की नाकाफी उजागर कर दी। आग बुझाने के लिए टैंकर तो भेजे गए लेकिन इन्हें मौके पर पहुंचने में देर हुई। जब तक टैंकर मौके पर पहुंचे, लाखों रुपये कीमत का कच्चा मटेरियल जलकर राख हो चुका था। क्षेत्र की बिजली आपूर्ति बंद करवाई और पुलिस ने पेट्रोलिंग कर लोगों को हटाया।
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औद्योगिक संगठन के मुताबिक सांवेर रोड़ पर करीब छोटे बड़े करीब 3 हजार कारखाना है। छह सेक्टर में बने इन कारखानों में करोड़ों रुपये का व्यवसाय होता है। जबकि फायर स्टेशन सिर्फ कुमेड़ी कांकड़ (सांवेर रोड) पर ही है। बड़ी घटना होने पर हर बार दूसरे स्टेशन से फायर फाइटर बुलाने पड़ते है। फायर ब्रिगेड के कर्मचारी जिन गाड़ियों से आग बुझा रहे थे वो भी 25 साल पुरानी है।