अभिषेक चेंडके, इंदौर, नईदुनिया Indore Abhishek Chendke Column। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष ने पिछले दिनों इंदौर में अचानक बैठक कर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी। जिन नेताओं के साथ वे भोपाल में बैठक कर सकते थे, उन्हें भी बैठक में शामिल होने के लिए इंदौर आना पड़ा। संतोष ने इंदौर में बैठक क्यों की? इसे लेकर कई नेता सिर खुजाते रहे है, गहराई से पड़ताल की तो पता चला कि संतोष को उज्जैन जाकर महाकाल के दर्शन करना थे। भोपाल मे रुकते तो वहां से सुबह आना मुश्किल होता, इसलिए इंदौर में बैठक रख ली। वैसे भी वे प्रदेश के दौरे पर थे। भोपाल में बैठक के अलावा उन्होंने इंदौर और उज्जैन के कार्यक्रम भी पहले से शामिल थे। बस इतनी सी बात है इंदौर में बैठक के पीछे, लेकिन भाजपा कार्यालय में हुई बैठक में गोपनीय ज्यादा रखी गई और खबरें छनकर बाहर नहीं आ पाई कि बैठक में क्या कुछ हुआ?

कौन बोलेगा मंत्री को.....

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के अब इंदौर में ज्यादा दौरे लगने लगे हैं। सात दिन में दो बार इंदौर आ गए। भाजपा कार्यालय में हुई बैठक के बाद तो मुख्यमंत्री के साथ ही वे बाहर निकले। मुख्यमंत्री से मीडिया ने सवाल पूछे तो वे बोले कि जहां नरोत्तम होते हैं वहां वे नहीं बोलते, क्योंकि वे प्रवक्ता हैं। कार्यालय से दोनों एक ही वाहन में सवार होकर विमानतल पर पहुंचे। वीआइपी लाउंज से चेक इन करने का प्रोटोकाल मुख्यमंत्री का अलग होता है और मंत्रियों के लिए अलग। मिश्रा भी उसी गेट से जाने लगे, लेकिन इंतजाम में लगे पुलिस अफसर उन्हें रोक नहीं पाए। आखिर उनके विभाग के मंत्री जो ठहरे। एक अपर कलेक्टर को इस बात का जिम्मा दिया गया कि वे मंत्री को बताए। अपर कलेक्टर ने धीरे से मंत्रीजी के कानों में बात कहीं और फिर मिश्रा विमान की तरफ रवाना हुए।

प्रवक्ता ने जल्दबाजी में दे डाली श्रद्धाजंलि

उमेश शर्मा पहले अक्सर इंटरनेट मीडिया पर अपनी कुछ पोस्ट के लिए चर्चाओं में रहते थे। जब से प्रवक्ता बने, उसके बाद थोड़ा संभल कर इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट डालते हैं, लेकिन चार दिन पहले फिर गलती कर बैठे। इंटरनेट मीडिया पर पत्रकार विनोद दुआ के निधन की अफवाह चल पड़ी। शर्मा ने भी उनके फोटो के साथ अपने फेसबुक अकाउंट पर श्रद्धाजंलि दे डाली। कुछ ही देर में उनकी पोस्ट पर ढेरो कमेंट भी आ गए। दुआ के निधन की खबर झूठी निकली। शर्मा के बाद कुछ फोन पहुंचे तो उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने पोस्ट तो हटा ली, लेकिन तब तक उनकी पोस्ट कई दूसरे कार्यकर्ता शेयर कर चुके थे। हाल ही में भोपाल की बैठक में प्रवक्ताओं की प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक ली थी और कहा था कि इंटरनेट मीडिया पर तथ्य के साथ अपनी बात रखे, लेकिन गलती तो हो जाती है।

4 दिसंबर के बाद ही मिलना

सरकारी अफसरों के पास वैसे ही ज्यादा काम नहीं रहता, लेकिन जिले में सरकारी आयोजन होता है तो फिर दूसरी फाइलों को वे हाथ नहीं लगाते। 4 दिसंबर को पातालपानी में टंट्या मामा की पुण्यतिथि के आयोजन का भी अफसरों को अच्छा बहाना मिल गया। कई अफसर आयोजन की व्यस्तता का ऐसा दिखावा कर रहे हैं कि मानो उनके बगैर वहां पत्ता भी नहीं हिलेगा। जो लोग समस्या लेकर आ रहे हैं तो उनको रटा-रटाया वाक्य बोले रहे है-‘ अब तो 4 दिसंबर के बाद ही आना... अभी तो बहुत व्यस्त है। उसके बाद ही कुछ हो पाएगा।’ मंगलवार को तो जनसुनवाई में गिनती के अफसर थे और बाहर समस्याएं लेकर आने वालों की भीड़ लगी थी, लेकिन अफसर उनसे मुंह मोड़ कर पातालपानी के लिए रवाना हो गए। अफसर तो ठीक स्टाफ के अन्य कर्मचारियों को भी गाड़ियों में बैठकर रोज पातालपानी की सैर कराई रही है।

Posted By: Sameer Deshpande

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