इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। इंदौर सहित प्रदेश के सभी आरटीओ में जल्द ही पक्के लाइसेंस बनवाना मुश्किल हो सकता है। दरअसल जल्द ही प्रदेश भर के आरटीओ में हाइटेक ट्रायल ट्रैक बनाए जाएंगे, जिनमें आवेदक को गाड़ी ताे चलाकर दिखानी ही होगी। साथ ही गाड़ी को पार्क करने के साथ ट्रैक पर बने ढ़लान पर गाड़ी रोककर बैलेंस भी करके दिखाना होगी। जल्द ही प्रदेशभर के आरटीओ में ऐसे हाइटैक ट्रायल ट्रैक बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
एक अगस्त से प्रदेशभर में लर्निंग लाइसेंस की व्यवस्था को केंद्र सरकार के सारथी सर्वर पर कर दिया गया है, जिससे आवेदक को लर्निंग लाइसेंस तो घर बैठे ही मिल जाते हैं। लेकिन पक्के लाइसेंस के लिए आरटीओ आना होता है। चूंकि लाइसेंस की पूरी व्यवस्था सारथी सर्वर पर चली गई है, इसलिए अभी पक्के लाइसेंस के ट्रायल के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। यहां पर मैन्युअल आधार पर ट्रायल लिए जाते है, जिसमें आवेदक गाड़ी चला कर दिखा देता है। वहीं पर लिपिक या एआरटीओ उसे देख कर पास फेल कर देते है। इसमें लगातार गड़बडी के आरोप लगते रहे है, जिसमें बिना ट्रायल दिए ही पास हो जाते है। लेकिन अब ट्रायल के लिए ट्रेक के लिए इंतजाम किया जा रहा है।
चंडीगढ़ के ट्रैक को मान रहे आदर्श
इस मामले में परिवहन आयुक्त ने एक टीम को इसकी जिम्मेदारी दी है, जो इस ट्रैक के बारे में अध्ययन करने के साथ केंद्र की टीम के साथ मिल कर काम करेगी। सूत्रों के अनुसार टीम ने चंडीगढ़ में बने आरटीओ ट्रेक को आदर्श माना है, जिसके बाद अब प्रदेश में भी ऐसे ट्रैक बनाए जाएंगे।
पार्क और ढ़लान का विकल्प नया
जानकारी के अनुसार नए ट्रैक में वाहन चला कर दिखाने और रिवर्स तो करके दिखाना के अलावा गाड़ी को समानांतर पार्क कर दिखाने के साथ ट्रैक पर ही बने एक ढलान पर बैंलेंस कर दिखाना होगा। अगर गाड़ी रोकने पर नीचे गई तो आवेदक फेल हो जाएगा।
यह होता था अब तक
अब तक मध्यप्रदेश में लाइसेंस और तमाम दूसरे तकनीकी काम स्मार्ट चिप कंपनी के पास थे। इंदौर और बड़े शहरों में कंपनी ने कुछ साल पहले ट्रायल ट्रैक बनाए थे, जिसमें सेंसर लगे हुए थे। यहां पर ट्रैक के शेप पर गाड़ी चलाकर दिखाना होता था। गलती करने पर सिस्टम ही आवेदक को फेल कर देता था।
जल्द बनेंगे ट्रैक
लाइसेंस की व्यवस्था को पुख्ता और पारदर्शी बनाने के लिए यह ट्रैक आवश्यक है, जिसके लिए इन ट्रायल ट्रैक का निर्माण जल्द ही करवाया जाएगा। मुख्यालय स्तर पर ही अंतिम निर्णय होगा।
- जितेन्द्र सिंह रघुवंशी, आरटीओ इंदौर
Posted By: Sameer Deshpande