विशेष सशस्त्र बल की प्रथम बटालियन में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) जवानों की टुकड़ी बनाई जाती है, जिनका उपयोग बड़ी घटना होने पर होता है। एसटीएफ को साल में एक बार निशानेबाजी का प्रशिक्षण दिया जाता है। बटालियन की तरफ से 3 फरवरी को भी बीएसएफ की सी-रेंज में फायरिंग (चांदमारी) प्रतियोगिता आयोजित की गई थी।
सिविलियन की एंट्री पर प्रतिबंध
जवानों के लिए आयोजित निशानेबाजी में सिविलियन की एंट्री प्रतिबंधित रहती है। जवानों द्वारा भेजी गई शिकायत में कहा गया कि वर्दी न पहनने पर डीएसपी ने चालकों को रेंज से बाहर कर दिया, जबकि उनके बेटे सादे कपड़ों में न सिर्फ रेंज तक पहुंचे, बल्कि अत्याधुनिक हथियारों से गोलियां भी चलाईं। शासन द्वारा जवानों की संख्या के अनुसार हथियार और कारतूस वितरित किए जाते हैं। डीएसपी के बेटों के द्वारा करीब 100 फायर किए इस कारण कई जवान निशानेबाजी से चूक गए।
कुछ पुलिसकर्मी इस तरह की अफवाह फैला रहे हैं, जबकि सादे वस्त्रों में गोलियां चलाने वाले भी पुलिसकर्मी ही हैं।
-पृथ्वीराजसिंह चौहान डीएसपी
बाहरी के हाथों में देना भी अपराध
पुलिस मुख्यालय से जवानों के लिए आवंटित एक एक राउंड (कारतूस) का हिसाब रखना होता है। बटालियन के इन हथियारों को बाहरी के हाथों में देना भी अपराध की श्रेणी में आता है। जवानों के हिस्से के डीएसपी के बेटों द्वारा चलाए हथियारों को जवानों द्वारा चलाना दर्शा कर गोलमाल करने के प्रयास हो रहे हैं।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay