- 60 से ज्यादा खिलाड़ियों ने यहां आयोजित गौरव दिवस की स्पर्धा में हिस्सा लिया।
Kahan Khele Indore: कपीश दुबे, इंदौर। किसी की कोई छोटी सी चीज कोई ले जाए या चोरी हो जाए तो व्यक्ति परेशान हो जाता है। मगर सरकार का लाखों रुपये कीमत का मुक्केबाजी रिंग करीब चाल साल से ज्यादा समय से गायब है। जिम्मेदार चुप हैं और खिलाड़ी बेबस।
शहर के अधिकांश मुक्केबाजी खिलाड़ी नेहरू स्टेडियम में अभ्यास करने जुटते हैं। यहां खिलाड़ियों की सुविधा के लिए मध्य प्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने मुक्केबाजी रिंग दिए थे। इस पर खिलाड़ी अभ्यास किया करते थे। करीब चार-पांच साल पहले गांधीनगर क्षेत्र में मुक्केबाजी स्पर्धा आयोजित की गई। इस स्पर्धा के लिए नेहरू स्टेडियम से मुक्केबाजी रिंग वहां भेजा गया। इसके लिए तत्कालीन जिला खेल अधिकारी जोसेफ बक्सला ने निर्देश दिए थे। यह स्पर्धा मान्यता प्राप्त संगठन द्वारा आयोजित नहीं की गई थी। स्पर्धा हो जाने के बाद आयोजकों ने रिंग नहीं लौटाया।
नेहरू स्टेडियम में खेल कराने वाले मोहनसिंह राठौर ने मुक्केबाजी रिंग लौटाने के लिए खेल विभाग में कई बार गुहार लगाई, लेकिन रिंग नहीं लौटा। इस बीच खेल अधिकारी का तबादला हो गया और नई अधिकारी के आने के बाद इस मामले की जांच शुरू हुई।

जमीन पर अभ्यास करते हैं खिलाड़ी
इंदौर जिला मुक्केबाजी संगठन के सचिव मोहन सिंह राठौर ने बताया कि हम नेहरू स्टेडियम में मुक्केबाजी की गतिविधियां संचालित करते हैं। हमें तत्कालीन जिला खेल अधिकारी जोसेफ बक्सला का पत्र मिला था, जिसमें स्पर्धा के लिए मुक्केबाजी रिंग देने को कहा गया था। इसलिए हमने रिंग सौंप दिया। पहले गांधीनगर और फिर बिजलपुर में भी स्पर्धा हुई थी, मगर हमें रिंग दोबारा नहीं लौटाया गया। हम इसे वापस लेने के लिए कई बार आवेदन दे चुके हैं, मौखिक बोल चुके हैं। एक मुक्केबाजी रिंग चार-पांच लाख रुपये का आता है। अब हमारे पास एक ही रिंग बचा है और वह भी करीब 15 साल पुराना हो चुका है। ऐसे में खिलाड़ियों को नीचे अभ्यास करना पड़ता है।
मामला मेरे कार्यकाल का नहीं
यह मामला मेरे कार्यकाल का नहीं है और कुछ समय पहले मेरी जानकारी में आया है। अब हम इस मामले की जांच कर रहे हैं।
-रीना चौहान, जिला खेल अधिकारी
आयोजकों ने नहीं लौटाया रिंग
हमने स्पर्धा के लिए मुक्केबाजी रिंग देने की अनुमति दी थी। यह भी लिखा था कि स्पर्धा के बाद इसे तुरंत लौटाना होगा, लेकिन आयोजकों ने नहीं लौटाया। यह गलत है। इसके बाद मेरा तबादला हो गया।
-जोसेफ बक्सला, तत्कालीन जिला खेल अधिकारी
Posted By: Sameer Deshpande
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