Hello Doctor Indore: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मौसम में बदलाव के कारण बच्चे बीमार हो रहे हैं। अस्पतालों में भी बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में हमें बच्चों की विशेष देखभाल करना चाहिए। अभी वायरल तेजी से फैल रहा है। एच3एन-2 इन्फेक्शन का असर भी नजर आ रहा है। इसके लक्षण भी कोविड की तरह ही होते हैं, जिसमें सिर दर्द, घबराहट, सांस लेने में परेशानी होने लगती है। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इस कारण से वह वायरल की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। घर में यदि बच्चे बीमार है, तो उन्हें डाक्टर की सलाह के बाद ही दवा दें। अभी कुछ बच्चों में एक माह तक बुखार रहता है। बच्चों को फ्लू वैक्सीन जरूर लगवाएं। वैक्सीन एच3एन2 वायरस से बचा सकती है।
यह बात शिशु रोग विशेषज्ञ डा. अपर्णा मांजरेकर ने कही। वे बुधवार को हेलो डाक्टर कार्यक्रम में पाठकों को बदलते मौसम में बच्चों को हो रही बीमारियों से जुड़ी समस्याएं और उनके समाधान के बारे में जानकारी दे रही थीं। डा. अपर्णा ने बताया कि कफ की समस्या होने पर कभी भी सीधे सायरप नहीं देना चाहिए। डाक्टर की सलाह के बाद ही कोई दवाई लेना चाहिए। अभी सर्दी-खांसी, बुखार से पीड़ित सबसे अधिक लोग आ रहे हैं। वहीं निमोनिया से पीड़ित बच्चों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। ऐसे समय में बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बाहर का खाना बिल्कुल नहीं खिलाना चाहिए।
यदि बच्चा बीमार हो तो उसे स्कूल न भेजें, क्योंकि इससे अन्य बच्चे भी बीमार हो सकते हैं। आजकल बच्चों को धूप में भी नहीं जाने देते हैं, लेकिन बच्चों को धूप में खेलने देना चाहिए, ताकि विटामिन-डी मिल सके। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। दो साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को मास्क लगाकर बाहर भेजना चाहिए। उन्हें सीखाना चाहिए कि बार-बार मुंह में हाथ ना ले। बार-बार उनके हाथ धुलवाने चाहिए और सैनिटाइजर का उपयोग भी करना चाहिए।
डाक्टर की सलाह
- बच्चों के बीमार होने पर लापरवाही ना बरतें।
- चाकलेट खाने के बाद ब्रश अवश्य करवाएं।
- बीमार बच्चों को स्कूल ना भेजें।
- दो साल से अधिक उम्र के बच्चों को मास्क लगाकर ही बाहर भेजें।
- बच्चों को बाहर का तला हुआ ना खाने दें।
- बार-बार पानी पिलवाएं।
- फल, हरि सब्जियों का सेवन ज्यादा करें।
शिशु रोग विशेषज्ञ डा. अपर्णा मांजरेकर ने पाठकों के सवाल के दिए जवाब
सवाल : मौसम में बदलाव के कारण सर्दी-खांसी, बुखार जैसी बीमारियां बढ़ने लगी है। इसमें सबसे ज्यादा बच्चे संक्रमित हो रहे हैं? - अनिल कुछालिया, इंदौर
जवाब : खानपान पर विशेष तौर पर ध्यान देने की जरूरत है। पहनावे का भी ध्यान रखना चाहिए। हम देखते हैं कि गर्मी में भी बच्चों को स्वेटर पहना देते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। बच्चे ज्यादा पानी भी नहीं पीते हैं। इस कारण से वह संक्रमित हो जाते हैं। ध्यान रखना चाहिए कि अगर बच्चा बीमार हैं, तो उसे स्कूल बिल्कुल भी नहीं भेजें।
सवाल :- मौसम में संक्रमण का खतरा क्यों बढ़ जाता है। बच्चों के खाने के लिए क्या देना चाहिए? - राजेश अग्रवाल, देवास
जवाब - अभी दिन में गर्मी रहती है और शाम को अचानक से ठंडा मौसम हो जाता है। इस कारण से संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। मौसम अनुकूल होने के कारण हर साल फरवरी-मार्च में वायरल फैलता है। बच्चों को बाहर का बिल्कुल भी नहीं खाने देने चाहिए। घर का बना हुआ खाना खिलाना चाहिए। अदरक, शहद, पालक, मैथी, गाजर का सेवन करना चाहिए। ज्यादा ठंडी चीजें भी नहीं खिलाना चाहिए।
सवाल- : बच्चे को बार-बार बुखार आ जाता है। अचानक से ठंड भी लगती है, इसका क्या कारण है? - असलम दुलावत, खासरोद कलां
जवाब - वायरल इंफेक्शन के कारण बच्चे बुखार से ग्रसित हो रहे हैं। बाहर का खाने से भी बच्चे बीमार होते हैं। सैर सपाटा से बचना चाहिए। कोरोना का जो प्रोटोकाल था, उसका पालन अभी भी करना चाहिए।
सवाल- एच3एन2 वायरस को कैसे पहचाने? बच्चों को गले से खून आने लगता है?
- उर्मिला साहू, इंदौर
जवाब : इस वायरस के लक्षण भी कोरोना की तरह ही होते हैं। जैसे सिर दर्द, घबराहट, सांस लेने में परेशानी होना। कोरोना के कारण बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है, क्योंकि उस दौरान बच्चे घर के अंदर ज्यादा रहे, बाहर खेलने भी नहीं जा पाए थे। उल्टी में खून दिखता है। लंग्स से जो खून निकलता है। कई बार ब्लड में खराबी के कारण भी इस तरह की समस्या हो सकती है। लापरवाही ना बरतते हुए विशेषज्ञ के पास बच्चे को ले जाना चाहिए।
सवाल- मौसम बदलाव में बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है? बच्चों को सर्दी-खांसी, हाथ-पैर में जकड़न होने लगती है?
- हुकुमचंद कटारिया, सनावद
जवाब- बीमारियों से बचने का तरीका यह हैं कि घर से ज्यादा बाहर ना निकले। हाथों को बार-बार धोएं और मास्क लगाएं। वायरल से डरने की जरूरत नहीं है। पहले वर्ष में बच्चे को छह से आठ बार वायरल इंफेक्शन होता है, यह सामान्य है। बच्चों को ज्यादा चोकलेट नहीं खाने दें। साथ ही खानपान का ध्यान रखें।
Posted By: Sameer Deshpande