Coronavirus in Indore : अभिषेक चेंडके/विपिन अवस्थी, इंदौर। कोरोना संक्रमण से मृत लोगों के अंतिम संस्कार में भी तय मानकों के उल्लंघन की शिकायतें आ रही हैं। न मुक्तिधाम स्थल पर तैनात कर्मचारियों को संक्रमण से बचाव के लिए उपकरण दिए गए हैं और न ही कब्रिस्तान में। करोना संक्रमितों के घरों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को 1100 डिग्री तापमान पर जलाकर नष्ट किया जाता है, लेकिन मुक्तिधाम में विद्युत शवदाह गृह का भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। उधर, कब्रिस्तान में जनाजों की संख्या बढ़ने के बाद भी सुरक्षा इंतजामों पर प्रशासन की नजर नहीं है। यहां जेसीबी से गड्ढे खुदवाकर शव दफनाए जा रहे हैं। शहर के पंचकुइया मुक्तिधाम में विद्युत शवदाह गृह है, फिर भी कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार खुले में किया जा रहा है। यहां बना विद्युत शवदाह गृह चार साल से बंद है। मंगलवार को भी खजूरी बाजार के कोरोना पीड़ित एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार खुले में ही किया गया।
कोरोना के कारण होने वाली मौत में शव के साथ चुनिंदा स्वजन ही मुक्तिधाम स्थल पहुंचते हैं। ऐसे में जनसेवकों के माध्यम से अंतिम संस्कार किया जाता है। इससे इन लोगों को भी कोरोना संक्रमण का खतरा है, साथ ही मुक्तिधाम व कब्रिस्तान के पास रहने वाले लोग भी इस संक्रमण की आशंका से परेशान हैं। पंचकुइया मुक्तिधाम में रोजाना 9-10 और अधिकतम 13 शव लाए जाते हैं। महीने में यह संख्या 300 से 325 तक होती है। स्थित अब भी वही है लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण खतरा बढ़ गया है। अब यह पहचानना मुश्किल है कि कोरोना से मरने वाला व्यक्ति कौन है। जो लोग अस्पताल से सीधे आते हैं, उन्हें अस्पताल प्रबंधन पूरी सुरक्षा के साथ भेजता है, लेकिन जिनकी मौत का कारण पता नहीं है या मौत के बाद रिपोर्ट आती है। उनका अंतिम संस्कार तो सामान्य रूप से होता है। इसमें रिश्तेदार व अन्य लोग भी शामिल होते हैं।
मप्र में सबसे पहले इंदौर में बना था विद्युत शवदाह गृह
पंचकुइया मोक्षधाम विकास समिति के संयोजक प्रेमनारायण बाहेती ने बताया कि मप्र में सबसे पहले इंदौर में 1981 में विद्युत शवदाह गृह बनाया गया था। कुछ दिन तक यह चला और बंद हो गया। 1990 में इसे सही कराया गया, इसका खर्च बहुत ज्यादा था, 1000 सेल्सियस तक लाने के लिए इसे तीन घंटे पहले चालू करना पड़ता था। वहीं इसमें लगने वाली रॉड खराब हो जाती थी, तो उसका खर्च भी 1500 रुपए से अधिक आता था। उस समय शव जलाना निशुल्क था, इसलिए इसे बंद कर दिया गया। पहले इसे सीएनजी किया जा रहा था, लेकिन बाद में एलपीजी से जोड़ने का निर्णय हुआ। पाइप लाइन भी डाल दी गई, लेकिन इसे जोड़ा नहीं जा सका।
रजिस्टर पर नहीं लिख रहे मौत का कारण
मुक्तिधाम में रजिस्टर में भी एंट्री की जाती है, ताकि पता चल सके कि व्यक्ति की मौत का कारण क्या था, लेकिन कई लोग शव को लाने के बाद मौत का कारण केवल बीमारी ही लिखवाते हैं। कोरोना से मरने वाले लोगों के कॉलम में भी मौत का कारण बीमारी ही लिखा है।
संक्रमित शवों को दफनाने से रहवासी दशहत में
महूनाका कब्रिस्तान में बुधवार को सुबह दो जनाजे पहुंचे। साथ आए लोग खौफ में थे, क्योंकि यहां संक्रमित लोगों के शव भी दफनाए जा रहे हैं। लॉकडाउन में लगभग यहां रोज ही जनाजे आ रहे हैं। उससे पहले दो-तीन कब्रें यहां खोदी जाती थीं, लेकिन अब आंकड़ा कभी छह तो कभी आठ तक पहुंच रहा है। कब्रिस्तान के रिकॉर्ड में भी बीमारी का उल्लेख करना होता है। उसमें कोरोना संक्रमण के अलावा हार्टअटैक से मौत का कारण ज्यादा दर्ज है। इस कब्रिस्तान में मध्य व पश्चिम क्षेत्र के 40 मोहल्ले और बस्तियां जुड़े हैं। इन इलाकों में रहने वाले मुस्लिम परिवारों के यहां जिसकी भी मौत होती है, उसे यहां दफनाया जाता है। कंटेनमेंट एरिया बने टाटपट्टी बाखल, सिलावटपुरा, बंबई बाजार, मोती तबेला भी इसी कब्रिस्तान से जुड़े हैं।
तनाव में हैं आसपास के लोग
कब्रिस्तान के आसपास घनी बसाहट है। यहां रहने वाले लोग संक्रमित शवों को कब्रिस्तान में दफनाए जाने से तनाव में हैं। कुछ लोग तो छत्रीपुरा थाने पहुंचकर कब्रिस्तान की बाउंड्रीवॉल को लगातार सैनिटाइज करने की मांग कर चुके हैं।
कभी-कभी एक दिन में 6-7 जनाजे भी आ रहे है
आमतौर पर कब्रिस्तान में तीन से चार जनाजे रोज आते थे, लेकिन बीते 15 दिनों संख्या कुछ बढ़ी है। कुछ दिन तो ऐसे भी थे, जब छह-सात जनाजे कब्रिस्तान पहुंचे। महामारी के अलावा अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों की मौत भी ज्यादा हो रही है। - मोहम्मद इलियास, अध्यक्ष महूनाका कब्रिस्तान कमेटी
इस तरह करना होता है अंतिम संस्कार
- शव को सेवन लेयर वाले प्लास्टिक शीट में लपेटा जाए।
- शरीर का कोई भी हिस्सा खुला नहीं रखा जाए।
- स्वजन भी सेवन लेयर शीट को खोल नहीं सकते।
- शव को बगैर घर ले जाए अस्पताल से ही अंतिम संस्कार स्थल तक पहुंचाया जाता है।
- अंतिम संस्कार इस तरह किया जाए जिससे संक्रमण फैलने की आशंका न रहे।
- जिस वाहन से करोना से मृत व्यक्ति का शव ले जाया जाएगा, उसे भी पूरी तरह सैनिटाइज किया जाएगा।
- अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने वाले या मुक्तिधाम स्थल के कर्मचारी को भी पूरी तरह सैनिटाइज करने का प्रावधान है।
Posted By: Nai Dunia News Network
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