Darbar-e-Khas Column Indore: डॉ. जितेंद्र व्यास, इंदौर (नईदुनिया)। चुनावी साल में संगठनात्मक रूप से भाजपा ने मध्य प्रदेश में जितने प्रयोग किए हैं, उतने शायद ही किसी दल ने किसी राज्य में किए होंगे। युवा भाजपा का नारा बुलंद कर युवाओं को महत्वपूर्ण पदों पर काबिज करने तक की बात कह दी, लेकिन कार्यकर्ता फिर भी संगठन के हाथ आता नहीं दिखता। इंदौर सहित मालवा-निमाड़ क्षेत्र की स्थिति तो कम से कम यही बताती है। मालवा-निमाड़ के 14 में से 7-8 जिले जहां युवाओं को जिम्मेदारी सौंपी गई थी, वहां संगठन के पदों की बंदरबाट से विरोध के स्वर ज्यादा तीखे हैं। भोपाल में आयोजित बैठक में वरिष्ठ नेताओं के चिंतन के बीच एक पूर्व पदाधिकारी की टिप्पणी थी- पहले तो बबूल के पेड़ बो दिए... अब आम का इंतजार करने से फल थोड़ी मिलेगा।
कार्यसमिति नई...एजेंडा वही
पिछले दिनों इंदौर में हुई भाजपा की कार्यसमिति बैठक में उनींदे चेहरों की चर्चा राजनीतिक गलियारों में हो रही है। लंबे-लंबे भाषणों के बीच उबासियों ने माहौल को और भारी कर दिया। पदाधिकारी इंतजार ही करते रह गए कि शायद इस बार बूथ और मतदान केंद्र के कमजोर प्रबंधन का मुद्दा उठेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। चर्चाओं ने जोर पकड़ा तो इस बात की पड़ताल हुई कि ऐसी नौबत क्यों आई। कुछ पदाधिकारियों को विश्वास में लेकर पूछा तो बोले- भैया एजेंडा तो कम से कम नया बनवा लेते। बार-बार दोहराए जा चुके पुराने एजेंडा का ही वाचन होता रहेगा तो नींद ही आएगी। इसके बाद चुप्पी साधने की बारी पूछताछ करने वाले नेताओं की थी। आखिर पूछताछ इन जुमलों के साथ समाप्त हो गई कि चुनावी साल है होता है।
हाल-ए-दिल हम भी सुनाते लेकिन वो विधायकजी को ले गए
इंदौर के शहर अध्यक्ष की घोषणा कांग्रेस के लिए ‘राष्ट्रीय समस्या’ बन चुका है। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर संगठन प्रभारी तक कोई इस पर कुछ कहने के बजाय चुप्पी साधकर आगे बढ़ जाते हैं। इस मामले के सुलझने तक मन में उम्मीद जगाए कांग्रेस नेताओं को पिछले दिनों इंदौर में हुए वाकये से जोरदार झटका लगा। हुआ यह कि इंदौर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने कार्यकर्ताओं से मुलाकात और तय आयोजनों के बाद अचानक विधायक संजय शुक्ला को अपने साथ गाड़ी में बैठने के लिए कहा। एयरपोर्ट पहुंचे तो पता चला शुक्ला तो अध्यक्षजी के साथ विमान में सवार हो गए हैं। इस नए समीकरण से चिंतित नेता यही कहते रह गए कि हम भी हाल ए दिल सुनाने आए थे लेकिन वे विधायकजी को लेकर उड़ गए।
कांग्रेस के राडार पर मालवा-निमाड़ की 21 सीटें
2018 के पहले तक मालवा-निमाड़ को भाजपा का गढ़ कहा जाता था, लेकिन बीते चुनाव में कांग्रेस ने इसी गढ़ में सेंध लगाकर सत्ता हथिया ली थी। हालांकि, कांग्रेस 15 माह में ही पक्ष से विपक्ष में पहुंच गई लेकिन मालवा-निमाड़ पर कांग्रेस की नजरें अब भी कायम हैं। कांग्रेस के रणनीतिकारों का पूरा फोकस मालवा-निमाड़ की उन 21 सीटों पर है जहां बीते दो से पांच विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी जीत हासिल करते आ रहे हैं। इंदौर के दो, चार और पांच नंबर विधानसभा सीटों के अलावा धार, महू, हरसूद, सुसनेर, शुजालपुर, देवास, खातेगांव, बागली, खंडवा, पंधाना, बुरहानपुर, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, मंदसौर, रतलाम सिटी, मल्हारगढ़, नीमच, जावद सीट प्रत्याशी चयन से लेकर बड़े नेताओं की सभाओं तक में प्राथमिकता में होंगी। अब देखना यह है कि यह कवायद क्या रंग लाती है।
Posted By: Hemraj Yadav
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