
DAVV Indore: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी (आइईटी) में कार्यरत कर्मचारियों को बढ़ा वेतन नहीं दिए जाने को लेकर न्यायालय ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय पर वसूली निकाली है। एक करोड़ 14 लाख रुपये का भुगतान करना है। इस संबंध में न्यायालय ने कुर्की का आदेश दिया है। शुक्रवार को न्यायालय के इस आदेश के बाद दल कुलपति कार्यालय को सील करने की प्रक्रिया करने पहुंचए। मामले में विश्वविद्यालय ने स्टे होना बताया।
आइईटी के विभिन्न विभागों में 33 वेतनभोगी कर्मचारी कार्यरत हैं, जिन्हें 125 घंटों के हिसाब से हर महीने भुगतान होता है। प्रत्येक कर्मचारी को 6400 रुपये वेतन दिया जाता है। अधिकांश कर्मचारी दस से पंद्रह सालों से काम कर रहे हैं। लंबे समय से वेतनवृद्धि व कलेक्टर रेट पर भुगतान और नियमितीकरण करने की कर्मचारी मांग उठा रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इनकी मांगों पर अभी तक कोई विचार नहीं किया।
मजबूर होकर पहले श्रम विभाग और सिविल कोर्ट के समक्ष प्रकरण रखा। सिविल कोर्ट ने एक करोड़ 14 लाख का भुगतान करने का आदेश दिया। इस लेकर विश्वविद्यालय ने उच्च न्यायालय की शरण ली और स्टे लिया, पर न्यायालय ने विश्वविद्यालय को 50-50 हजार रुपये देने की बात कही। महीनेभर के भीतर विश्वविद्यालय ने राशि कर्मचारियों के खातों में जमा करवाई।
देवी अहिल्या प्रगतिशील कर्मचारी संगठन की सचिव रेखा वर्मा का कहना है कि कर्मचारियों को बढ़ा वेतन नहीं मिलने पर दो बार श्रम विभाग और सिविल कोर्ट ने विश्वविद्यालय पर वसूली निकाली है। प्रभारी रजिस्ट्रार अजय वर्मा का कहना है कि सिविल कोर्ट से कुर्की आदेश लेकर दल आया था। वैसे विश्वविद्यालय के पास उच्च न्यायालय से स्टे मिला है। इसके बारे में सिविल कोर्ट में भी बताया है। उसके बाद ही कार्रवाई रुकी है।