
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलगुरु डॉ. रेणु जैन का कार्यकाल अगले सप्ताह 27 सितंबर को खत्म हो रहा है। इससे पूर्व राजभवन ने नए कुलगुरु का चयन करने की तैयारी कर ली है। शुक्रवार को चयन समिति ने साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी की, जहां दर्जनभर दावेदारों ने अपनी-अपनी किस्मत अजमाई है।
समिति ने दावेदारों को अपने मापदंड पर परखकर नाम लिफाफे में बंद कर दिए हैं। अब सप्ताहभर के भीतर राज्यपाल मंगुभाई पटेल को नाम तय करना है। खास बात यह है कि साक्षात्कार की प्रक्रिया में इंदौर से चार उम्मीदवार शामिल हुए। कुलगुरु को लेकर मार्च में राजभवन ने विज्ञापन निकाला था।
इसके तहत महीनेभर में 250 से ज्यादा बायोडाटा आए। इनमें इंदौर से 25 शिक्षाविद शामिल थे। चयन समिति बनने के बाद आवेदनों की स्क्रूटनी हुई। अधिकांश आवेदकों ने दस साल तक प्रोफेसर पद पर कार्य करने का अनुभव गलत ढंग से बताया था। निजी कॉलेजों में कोड-28 में नियुक्ति को अनुभव में जोड़ा गया।
जबकि कई आवेदन समिति ने अधूरे दस्तावेज होने के चलते खारिज किए हैं। सितंबर में दर्जनभर को शार्टलिस्ट किया गया। फिर उम्मीदवारों को ई-मेल के माध्यम से 20 सितंबर को साक्षात्कार के बारे में बताया।
डॉ. आशुतोष मिश्रा
पूर्व प्रभारी कुलगुरु डॉ. आशुतोष मिश्रा वर्तमान में गणित अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष हैं। बरसों से इन्होंने भौतिक अध्ययनशाला की कमान संभाली है। वरिष्ठ प्राध्यापक होने के कारण वे प्रवेश समिति के अध्यक्ष भी हैं। इनकी खासियत यह है कि विश्वविद्यालय में प्राध्यापक-अधिकारी से लेकर कर्मचारी और छात्र संगठन व नेताओं से बेहतर तालमेल है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में प्रदेशाध्यक्ष रह चुके डॉ. सचिन शर्मा इन दिनों आइएमएस में पढ़ा रहे हैं। छह महीने पहले इनकी नियुक्ति हुई है, जो काफी चर्चाओं में रही है। इन्होंने निजी संस्थानों में सेवाएं दी है। छात्र नेताओं से तालमेल बना कर चलते हैं।
डॉ. कन्हैया आहूजा वर्तमान में अर्थशास्त्र अध्ययनशाला की कमान संभाल रहे हैं। वे नीति आयोग में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 2020 में विश्वविद्यालय में सीयूईटी से जोड़ा गया है। इन्होंने बीते चार साल से सीयूईटी समन्वयक की भूमिका निभाई है। इनके नेतृत्व में काउंसिलिंग का सफल आयोजन हुआ है। विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापकों से अच्छे तालमेल बना रखा है।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में डीसीडीसी की जिम्मेदारी संभाल रहे डॉ. राजीव दीक्षित प्रतिनियुक्ति पर आए हैं। लगभग दो साल पूरे हो चुके हैं। इसके पहले वह छात्र कल्याण संघ के अध्यक्ष भी रहे हैं। वे विज्ञान भारती से भी जुड़े हैं।
2019 में विश्वविद्यालय की सीईटी में तकनीकी गड़बड़ी आई थी। इसके बाद प्रदेश सरकार ने धारा-52 लगाई। जुलाई-2019 में डॉ. रेणु जैन को विश्वविद्यालय की कमान दी गई। छह महीने पूरे होते ही राजभवन ने कुलगुरु चुनने की प्रक्रिया की, जिसमें चार साल के लिए डॉ. रेणु जैन को चुना गया।