Hello Doctor Indore: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। खेल के दौरान आई छोटी से छोटी चोट को भी गंभीरता से लेना चाहिए। इन चोटों से उभरने में समय लग सकता है इसलिए धैर्य की आवश्यकता होती है। मरीज की मानसिक शक्ति इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। सही समय पर सही उपचार मिले तो खिलाड़ी दोबारा मैदान में उतर सकते हैं। खेल के दौरान आई चोट में प्राइस (प्रोटेक्ट, रेस्ट, आइस, कंप्रेशन और एलिवेशन) यानी सुरक्षा, आराम, बर्फ की सिकाई, दबाव और चोट वाली जगह को उठाकर रखना जरूरी है। चोट आने पर कई बार लोग मालिश और गर्म पानी से सिकाई कर लेते हैं। ऐसा बिल्कुल न करें। चोट के 48 घंटे बाद तक सिर्फ बर्फ की सिकाई करनी चाहिए।

यह बात स्पोर्ट्स इंज्युरी विशेषज्ञ डा. विनय तंतुवाय ने कही। वे बुधवार को नईदुनिया के साप्ताहिक कार्यक्रम हेलो डाक्टर में पाठकों के सवालों के जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि अत्याधुनिक उपचार विधा में खेल के दौरान आई चोटों का समुचित उपचार संभव है। हालांकि यह सामान्य उपचार के मुकाबले कुछ महंगा होता है। डा.तंतुवाय ने कहा कि खेल के दौरान आई किसी भी चोट को छोटा न समझें। कई बार चोट को सामान्य मानकर खिलाड़ी मैदान में बने रहते हैं या दोबारा उतरने में जल्दबाजी करते हैं। यह उनके लिए नुकसानदायक है। चोट का पूरा उपचार किए बगैर अगर मैदान में उतरने की यह जल्दबाजी आपका करियर खतरे में डाल सकती है। घबराएं नहीं चोट खेल का हिस्सा है। इससे उभरना संभव है।

यह रखें ध्यान

-चोट लगने पर मालिश और गर्म पानी की सिकाई बिलकुल न करें। ये नुकसान पहुंचा सकती हैं।

-चोट लगने पर घायल से ऐसा कोई कार्य न करवाएं जिसे करने में उसे दिक्कत हो रही है। जैसे अगर वह चल नहीं पा रहा है तो चलाने का प्रयास न करें।

-जिस जोड़ में चोट आई है उसे आराम दें, कोशिश करें कि उसे ज्यादा हिलाएं नहीं।

-चोट वाली जगह पर बर्फ की सिकाई करें, वहां बेंडेज बांधें।

-जिस जोड़ पर चोट है उसे थोड़ा उठाकर रखें ताकि रक्त का प्रवाह चोट की तरफ न रहे। ऐसा करने से सूजन कम होगी।

-हड्डी टूटने की आशंका हो तो उस जगह को कार्ड बोर्ड का टुकड़ा लगाकर बांध दें। कोशिश करें कि हड्डी हिलेडुले नहीं।

-भरपूर पानी पीएं और पर्याप्त नींद लें।

-खेल के दौरान पसीने के रूप में शरीर से पानी बाहर निकलता है। खेल के दौरान भी थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें।

-वार्मअप और स्ट्रेचिंग जरूर करें।

-स्पोर्ट्स इंज्युरी के केस में सिर्फ पांच प्रतिशत मामलों में ही आपरेशन की जरूरत होती है।

-चोट आने पर अगर हल्के हाथ से मल्हम या कोई तेल लगाएं तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन यह कितना फायदा पहुंचाएगा यह तय नहीं

-लिगामेंट सर्जरी होने पर छह माह से एक वर्ष तक लग सकता है पूरी तरह से मैदान में लौटने में। हतोत्साहित न हों, मानसिक रूप से मजबूत रहें।

सवाल-जवाब

सवाल - खेल के दौरान अगर कभी-कभार चोट लग जाए तो क्या करें। क्या गर्म सिकाई कर सकते हैं? - राजेश अग्रवाल

जवाब - गर्म सिकाई नहीं करना है। बर्फ से ठंडी सिकाई करें। गर्म सिकाई करने से सूजन बढ़ सकती है। जिस हिस्से में चोट लगी है उस हिस्से को थोड़ा ऊंचा रखें। अगर एक-दो दिन में सुधार नहीं हो रहा है तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं।

सवाल - खेल के दौरान बच्चे बार-बार गलती करते हैं और उन्हें चोट लगती है। क्या करें कि चोट न लगे? - राधेश्याम कवचाले

जवाब- ज्यादातर चोट जानकारी के अभाव में लगती है। जरूरी यह है कि कोच को भी प्रशिक्षण दिया जाए। अगर प्रशिक्षित कोच के नेतृत्व में ट्रेनिंग लेंगे तो चोट नहीं लगेगी।

सवाल - भ्रांति है कि एक बार गंभीर चोट लग जाए तो वापसी नहीं हो सकती। -अक्षय सिंह

जवाब - स्पोर्ट्स इंज्युरी से उभरने में इच्छा शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रबल इच्छा शक्ति की जरूरत होती है। फिटनेस का स्तर पाने में समय लग सकता है। धैर्य रखें।

सवाल - रोज सुबह पांच मंजिल चढ़ता-उतरता हूं। एक तरफ घुटने में दर्द होता है। -संदीप यादव

जवाब - सीढ़ी चढ़ने में अगर घुटने में आगे की तरफ दर्द हो रहा है तो यह मांसपेशियों की कमजोरी हो सकती है। अगर पीछे की तरफ दर्द है तो यह किसी अन्य वजह से हो सकता है। आप एक बार जांच करवाएं

सवाल - कहा जाता है कि स्पोर्ट्स इंज्युरी का इलाज महंगा होता है। क्या यह सही है। - रत्नेश पाठक

जवाब - यह कुछ हद तक सही है। दरअसल स्पोर्ट्स इंज्युरी में जो इंप्लांट्स इस्तेमाल किए जाते हैं वे उच्च क्वालिटी के होते हैं क्योंकि खिलाड़ी को सामान्य लोगों की तरफ सिर्फ चलना-फिरना नहीं खेलना भी है। इस इंज्युरी के इलाज में इस्तेमाल तकनीक भी कुछ महंगी होती है। सर्जरी के दौरान कई ऐसी चीजों का इस्तेमाल होता है जो सिर्फ एक बार इस्तेमाल होती हैं।

Posted By: Sameer Deshpande

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