Government Law College Indore : इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। धार्मिक कट्टरता फैलाने और भड़काऊ शिक्षा का अखाड़ा बन चुके शासकीय विधि महाविद्यालय में अब नया विवाद सामने आया है। यहां विद्यार्थियों को तिलक लगाकर परिसर में आने से मना किया जाता था। इसे लेकर प्राध्यापक आपत्ति भी लेते थे। कई बार विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच तीखी बहस हो चुकी है। हर बार कालेज विवाद को दबाता आया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने इस बिंदु पर जांच समिति को जानकारी दी है। मंगलवार को समिति विद्यार्थियों से बयान ले सकती है।
नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर एक छात्र ने बताया कि विवादों में घिरे कालेज में पढ़ाने वाले प्राध्यापक मनमानी करते थे। कालेज में कोई विद्यार्थी तिलक लगाकर पहुंचता था तो कुछ प्राध्यापक उसे मिटाने का कहते थे। इंटरनल एग्जाम में फेल किए जाने के डर के चलते छात्र सीधे विरोध नहीं करते थे।
एक मर्तबा कालेज को एलएलबी-एलएलएम की परीक्षा के लिए केंद्र बनाया था। उस दौरान अन्य कालेज के विद्यार्थी तिलक लगाकर आए। इस पर कुछ शिक्षकों ने आपत्ति ली। छात्रों ने मना किया तो काफी देर बहस हुई थी। फिर मामला केंद्राध्यक्ष तक पहुंचा था। कालेज के वरिष्ठ प्राध्यापकों ने मामले को दबा दिया। अभाविप के प्रांत कार्य समिति के सदस्य लकी आदिवाल ने जांच समिति के सदस्यों को इसके बारे में बताया है। सदस्यों के मुताबिक विद्यार्थियों से इस बिंदु पर भी बयान लेने की बात कही है।
हो सकती है जांच प्रभावित
रविवार को महाविद्यालय के 13 शिक्षकों, प्राध्यापकों और स्टाफ को समिति ने पूछताछ के लिए बुलाया था। प्रो. मिलिंद गौतम कुछ छात्राओं के साथ अतिरिक्त संचालक कार्यालय पहुंचे। अपने बचाव में बयान दिलवाने के लिए गौतम ने छात्राओं का सहारा लिया। ये देखकर समिति के सदस्य नाराज हुए और छात्राओं को लौटा दिया। अभाविप ने भी आपत्ति ली। मामले में समिति शिक्षक को नोटिस देकर पूरे मामले में लिखित जवाब मांगने की तैयारी कर रही है। अतिरिक्त संचालक डा. किरण सलूजा ने कहा कि छात्राओं को लौटा दिया था। विद्यार्थियों से कालेज परिसर में पूछताछ करेंगे।
इतिहास पढ़ाने वाले प्रो. सुहैल वाणी के पास था मूट कोर्ट का प्रभार
विवाद के बाद कालेज से कार्यमुक्त हुए इतिहास विषय पढ़ाने वाले प्रो. सुहैल वाणी के पास मूट कोर्ट का प्रभार था, जबकि नियमानुसार मूट कोर्ट की जिम्मेदारी विधि विषय के शिक्षकों को दी जाती है। विद्यार्थियों के मुताबिक मूट कोर्ट में कई बार बहस विवादस्पद विषयों पर करवाई जाती थी।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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