GST: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हम सब व्यापारी और आम लोग तो सरकार के साथ हैं, लेकिन सरकार हमारे साथ नहीं। घर और गृहिणियों की बचत को चोरी करार दिया जा रहा है। कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने नोटबंदी के निर्णय की आलोचना करते हुए यह बात कही।
इंदौर आए भरतिया ने शुक्रवार को शहर के व्यापारियों व उद्योगपतियों की बैठक ली। उन्होंने जीएसटी को विचित्र किस्म का कानून करार दे दिया। कैट अध्यक्ष ने कहा कि दो हजार के नोट जमा करवाने जा रहे लोगों पर मनमाने नियम लगाए जा रहे हैं। रिजर्व बैंक के निर्देशों को भी बैंक नहीं मान रहे। हैरानी यह है कि एक भी बैंक पर कार्रवाई नहीं हुई। दलील दे रहे हैं कि नोट आतंकवादियों और कालाधन जमा करने वालों के पास है। गृहिणी डर रही है। वह कहेगी कि दो हजार का नोट है तो सब समझेंगे दो नंबर की कमाई है। इससे अन्य देशों में भारतीय मुद्रा की विश्वसनीयता भी घट रही है।
दहशत ऐसी फैला दी जैसे गब्बर रामगढ़ जाने वाला है
जीएसटी को विचित्र कानून कहते हुए भरतिया ने कहा कि व्यापारी अधिकारी की दया पर जिंदा है। जब जीएसटी में आनलाइन सब नियंत्रण विभाग के हाथ में है जबकि सत्यापन मुहिम के नाम से ऐसी दहशत फैला दी है जैसे गब्बर रामगढ़ जाने वाला है। इन सब बातों के चलते व्यापारी के बच्चे व्यापार छोड़कर नौकरी करना पसंद कर रहे हैं।
बैठक में सामने आई शिकायतें
कैट अध्यक्ष के साथ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेश गुप्ता ने शहर के व्यापारी-उद्योगपतियों के साथ शाम को जाल सभागृह में बैठक की। व्यापारियों ने मंडी टैक्स की दरों से लेकर बैंकों द्वारा सरकारी योजनाओं के लोन नहीं दिए जाने की शिकायत की। प्लास्टिक और लोहा उद्योग से जुड़े कारोबारियों ने कहा कि महंगी होने के बाद भी बिजली नहीं मिल रही। उद्योग संकट में है। कांग्रेस व्यापारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अजय चौरड़िया ने व्यापारियों से कहा कि व्यापार सबसे पहले है ऐसे में जो आपकों डराए व आपका हितैषी नहीं हो सकता। संजय पटवर्धन, श्रेष्ठा गोयल, राशि गुप्ता आदि मौजूद रहे।
सही जवाब देने पर पेनाल्टी से मुक्ति
इंदौर। जीएसटी रिटर्न के स्क्रूटनी का दौर शुरू हो चुका है। जीएसटीआर-वन और आइटीसी का मिलान नहीं होने और ऐसे अन्य कारणों से करदाताओं को नोटिस भेजे जा रहे हैं। विभाग द्वारा कर की राशि के साथ ब्याज एवं पेनाल्टी की भी मांग की जा रही है। नोटिस को समझकर इनका जवाब कैसे दिया जाए, इस बारे में विशेषज्ञों ने चर्चा की। सीए ब्रांच इंदौर और टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन ने सेमिनार का आयोजन किया। सीए शैलेंद्र पोरवाल ने नोटिस व जवाब की बारीकियों के बारे में समझाया।
नोटिस मिलने पर उसे गंभीरता से लें
सीए पोरवाल ने कहा कि नोटिस प्राप्त होने पर उसे गंभीरता से लेना चाहिए। जवाब समय पर नहीं देने पर विभाग एकपक्षीय कार्रवाई कर सकता है। नोटिस प्राप्त होने पर करदाता को सबसे पहले उससे संबंधित प्रविधान व अपने रिकार्ड का अध्ययन करते हुए यह निर्धारित करना चाहिए कि विभाग द्वारा जारी की गई मांग सही है या नहीं? यदि मांग सही हो तो उसे तुरंत भर देना चहिए जिससे पेनाल्टी से बचा जा सके। पोरवाल ने कहा कि रिटर्न बहुत सावधानी से भरना चाहिए।
बिना संज्ञान लिए नोटिस दे रहा विभाग
अध्यक्षता कर रहे सीए जेपी सर्राफ ने कहा कि कई बार करदाता द्वारा गलती होने पर आगे के रिटर्न में उसे ठीक कर लिया गया, परंतु उसका संज्ञान नहीं लेते हुए विभाग ने जिस माह या पीरियड में गलती हुई, उसी का नोटिस दिया जा रहा है, जो गलत हैं। सीजीएसटी सचिव कृष्ण गर्ग ने संचालन किया।
Posted By: Hemraj Yadav
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