Indore News: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। जैन और गुर्जर समाज के बीच गोम्मटगिरी पहाड़ी के एक हिस्से पर अधिपत्य की लड़ाई में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। बुधवार को गुर्जर समाज ने निर्णय लिया की अब वे जैन संतों के समक्ष जाकर अपना पक्ष रखेंगे। उनका कहना है की गोम्मटगिरी ट्रस्ट द्वारा संतों को पूरी बात नही बताई है। इसके चलते जैन संतो ने एकजुट होकर आंदोलन करने की बात कही ही।

गुर्जर समाज के कोषाध्यक्ष डालचंद गुर्जर ने कहा की हम जैन संतों का सम्मान करते हैं। उनको इस संबंध में अधूरी जानकारी दी गई जिसे हम पूरा करेंगे। इस संबंध में जैन समाज ने कहा कि पिछले कुछ साल में एक वर्ग विशेष के कुछ लोग द्वारा बनाए मंदिर, धर्मशाला और रास्ते को प्राचीन बताकर समाज की धार्मिक भावना को भड़काया जा रहा है। लोगों को भ्रमितकर जैन तीर्थ पर कब्जे का प्रयास किए को सफल नहीं होने दिया जाएगा। उनके पास प्राचीनता के दावे का कोई प्रमाण नहीं है।

भगवान बाहुबली दिगंबर जैन ट्रस्ट गोम्मटगिरी के अध्यक्ष भरत मोदी ने कहा ट्रस्ट को ग्राम नैनोद और बड़ा बांगड़दा में 53.11 एकड़ भूमि और जम्बूड़ी हप्सी में 12.49 एकड़ भूमि तत्कालीन मुख्यमंत्री मप्र शासन द्वारा लीज पर 1983 में आवंटित की गई थी। दोनों का लीज रेंट भी भी वर्ष 2041 तक जमा किया जा चुका है। इसकी सुरक्षा के लिए 2015 से ट्रस्ट बाउंड्रीवाल बनाने की कोशिश कर रहा है।

मप्र उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी इसमें पुलिस-प्रशासन से सुरक्षा व सहयोग प्राप्त नहीं हो रहा है। इस स्थान की एक इंच भूमि भी किसी अन्य को मप्र शासन द्वारा आवंटित नहीं की गई है। इसके बाद भी मंदिर 2006-2009 में और मंदिर का रास्ता 2010-11 और धर्मशाला वर्ष 2016-17 में बाहुबल के दम पर बना लिया गया है।

इस स्थान की पहचान देवधरम टेकरी से

गुर्जर समाज का कहना है कि इस स्थान की पहचान देवधरम टेकरी के नाम से है। यह स्थान 1200 साल से समाज की आस्था का स्थल है। यहां समाज के साधु-संत उज्जैन के कुंभ मेले के लिए आने के दौरान अपना डेरा डालते थे। समाज के लोग इस स्थान की परिक्रमा लगाते थे। दूसरे समाज के लोगों की आस्था स्थल को अपने नाम से आवंटित करना उचित नहीं है। दोबारा कार्य को गति देने के लिए समाज की बड़ी बैठक की तैयारियां चल रही है।

Posted By: Sameer Deshpande

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