Consumer Right इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। वैश्विक क्रांति के इस दौर में बैंकों की भूमिका काफी अहम है। भले ही ग्राहक नेट बैंकिंग का कम इस्तेमाल करते हैं, लेकिन विभिन्न एप्लीकेशन के माध्यम से आनलाइन भुगतान अधिक करते हैं। कई एप्लीकेशन ग्राहकों के बैंक खाते की गोपनीय जानकारी हासिल कर लेती हैं। ऐसे में ग्राहकों के खातों से रुपये आसानी से निकाल लिए जाते हैं। कई बार लापरवाही से ग्राहक धोखाधड़ी का शिकार होते हैं तो कई बार थोड़े से लालच में अपना ओटीपी अनजान लोगों से शेयर कर लेते हैं। इस प्रकार की शिकायतें सबसे पहले बैंकों में करनी होती हैं, जिनका निराकरण समय पर बैंकों को करना होता है। ऐसा नहीं करने पर ग्राहक विभिन्न एजेंसियों को भी शिकायत कर सकते हैं।
बैंक आफ इंडिया के पूर्व सहायक महाप्रबंधक मुकेश भट्ट ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति आनलाइन धोखाधड़ी का शिकार होता है तो इसके लिए उसे सबसे पहले बैंक को सूचित करना होता है। इसके बाद सायबर क्राइम में शिकायत करके एफआइआर की कापी बैंक में जमा करवानी होती है। इन सभी प्रक्रियाओं को 36 घंटे में पूरा करना होता है। इसके बाद बैंक की तरफ से ट्रांजेक्शन रोक दिया जाता है। वहीं अगर कोई व्यक्ति गलती से किसी दूसरे शख्स के खाते में आनलाइन पैसे भेज देता है तो उसे खाते के विवरण के साथ लिखित में बैंक को सूचित करना होता है। इस मामले में बैंक दूसरी बैंक से बात करके ट्रांजेक्शन को रोक देती है और पैसे को वापस खाते में जमा कर दिया जाता है।
वहीं अगर किसी व्यक्ति को बैंक की सेवाओं की त्रुटि के कारण कोई नुकसान होता है और बैंक आपकी शिकायत नहीं सुनती है तो आपको इसके लिए बैंक में 15-15 दिन में दो नोटिस देने होते हैं। अगर इस पर भी बैंक समस्या का निवारण नहीं करती है तो शिकायत की सभी कापियों को बैंकिंग लोकपाल, भोपाल में भेजना होता है। वहां से संबंधित बैंक को समस्या का निवारण करने के सख्त निर्देश दिए जाते हैं। इस प्रक्रिया से समाधान में 15 से 30 दिन लगते हैं।
Posted By: Sameer Deshpande
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