Edible Oil Indore: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। भारतीय बाजार में खाद्य तेलों के गिरते दामों के बाद भी सरकार का इरादा तेलों के आयात पर आयात ड्यूटी में वृद्धि करने का नहीं है। ताजा स्थिति में क्रूड पाम तेल, सोयाबीन तेल और सनफ्लावर तेल पर 5.5 प्रतिशत ही आयात शुल्क लागू है, जबकि रिफाइंड खाद्य तेलों पर 13.75 प्रतिशत आयात शुल्क लगता है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ने देश में सरसों तेल के घटे दामों को देखते हुए आयात शुल्क में वृद्धि की उम्मीद जताई थी। हालांकि सरकार की ओर से इसके समर्थन की उम्मीद नहीं है।

दरअसल भारतीय बाजार में जरुरत का 56 प्रतिशत खाद्य तेल आयात किया जाता है। इसमें से 75 प्रतिशत आयातित खाद्य तेल क्रूड यानी कच्चा होता है और सिर्फ 25 प्रतिशत रिफाइंड होता है। ऐसे में सरकार का कहना है कि कच्चे खाद्य तेल पर ड्यूटी बढ़ाने का निर्णय भारतीय तेल उद्योग के लिए भी परेशानी और अतिरिक्त भार डालने वाला होगा, क्योंकि भारत की तेल रिफाइनरियां भी आयातित तेल पर निर्भर है। दरअसल सरकार ने कच्चे पाम, सोयाबीन और सनफ्लावर तेल पर पहले सितंबर 2022 में आयात शुल्क की दरों में कटौती की थी।

उस समय देश में तेल के दाम आसमान छू रहे थे। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण दुनियाभर में खाने के तेल की किल्लत हुई और दाम में तेजी जारी रही। दिसंबर 2022 में शुल्क कटौती की अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च 2024 तक कर दिया गया। ताजा स्थितियों में वैश्विक बाजारों में भी तेल के दाम घट गए हैं। भारतीय बाजारों में सोयाबीन, सनफ्लावर के साथ अन्य खाद्य तेलों के दाम दो वर्षों में सबसे नीचे के स्तर पर आ गए हैं।

थोक बाजार में 90 लीटर के आसपास सोयाबीन तेल बिकने लगा है। अब मुंबई पोर्ट पर पाम तेल 50 प्रतिशत सस्ता होकर 925 डालर प्रति टन बैठ रहा है जो एक साल पहले 1,840 डालर के दाम पर बिका था। इसी तरह क्रूड सोयाबीन के दाम पोर्ट पर 47 प्रतिशत गिरकर 990 डालर और सनफ्लावर तेल के दाम56 प्रतिशत गिरकर पोर्ट पर 950 डालर तक हो गए हैं।

Posted By: Sameer Deshpande

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