Indore Lokesh Solanki Column : लोकेश सोलंकी, इंदौर (नईदुनिया)। चुनाव का मौसम है और नेताओं और उनके चेलों की निगाहें आसमान पर टिकी हुई हैं। शहर के नेता जब ऊपर वाले को याद करने के बहाने नजरें ऊपर उठाते हैं तो धीरे से बादलों का मूड भी भांपने लग जाते हैं। दरअसल चुनाव नगर निगम के हैं और आषाढ़ मास में मतदान रख दिया गया है। मतदान के पहले या उसी दिन बादलों ने दिल खोलकर पानी बरसा दिया तो मतदाताओं का मिजाज बिगड़ते देर नहीं लगेगी। बीते दिनों दो इंच वर्षा में आधे से ज्यादा शहर की सड़कें तालाब में बदल गई थीं। नाला टेपिंग के नाम पर हुआ खेल वर्षा के पानी के साथ सड़कों पर उजागर हो जाएगा। दूूसरी ओर मतदान की अवधि में ही वर्षा हुई तो मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक लाना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में चुनाव के पहले की गई फील्डिंग और तमाम जोड़-घटाव फेल हो जाएगा। घाघ राजनीतिक विश्लेषकों ने बरसात को इस चुनाव में एक्स फैक्टर घोषित कर बाजी पलटने वाला करार दे दिया है।
नेताओं के रुतबे से हारे व्यापारी
गोपाल मंदिर कांप्लेक्स के व्यापारी नेताओं के रुतबे से आखिरकार हार गए। राजवाड़ा क्षेत्र के व्यापारियों ने 7 जून से दुकानें बंद कर हड़ताल शुरू की थी। दस दिन की हड़ताल और जोर-शोर से चले विरोध को 16 जून को खामोशी से विसर्जित कर दिया गया। कारोबारी मांग कर रहे थे कि स्मार्ट सिटी क्षेत्र में सड़क पर हो रहे कब्जे हटाए जाएं। व्यापारियों की मांग भले ही कानून और नियम सम्मत थी, लेकिन अधिकारियों ने कब्जे नहीं हटाए। अधिकारियों ने इशारा कर दिया नेता रोक रहे हैं। व्यापारी नेताओं के पास पहुंचे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। कब्जा करने वाले तो नेताओं के ही पट्ठे हैं। व्यापारियों ने हार मानकर हड़ताल खत्म कर दी। कोर्ट में याचिका तो लगा दी है, लेकिन अंदर से खबर आ रही है कि व्यापारी मतदान वाले दिन का इंतजार कर रहे हैं। चुनावी प्रचार के मंचों पर शहर के नेताओं को मुस्कुराकर हार पहनाने वाले व्यापारियों की मुस्कुराहट किसी और हार की तरफ भी इशारा कर रही है।
इंदौर में मौसम विभाग का मूड खराब है
सरकार ने मौसम विभाग की स्थापना की होगी तो सोच यही होगी कि नागरिकों को सटीक पूर्वानुमान मिले। ऊपर बैठे अफसर मान भी रहे हैं कि उनका महकमा मौसम की जानकारी प्रसारित कर किसानों से लेकर समाज के हर वर्ग को लाभ पहुंचाने में जुटा है। इंदौर का मौसम भले साफ हो, लेकिन यहां के विभाग का मिजाज बिगड़ा हुआ है। सालभर पहले मौसम केंद्र की कुर्सी पर विराजित हुए अफसर ने अपने अधीनस्थों को चेता दिया है कि मौसम की जानकारी लीक नहीं होना चाहिए। विभाग के विज्ञानी समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर मौसम की जानकारी को गोपनीय रखने के निर्देश क्यों दे दिए गए हैं? मजबूरी में बड़े अफसर का फरमान मानकर इंदौर मौसम केंद्र पर आंकड़ों को छुपाने का दौर शुरू हो गया है। केंद्र से जानकारी मांगने पर कहा जा रहा है कि भोपाल या दिल्ली मौसम विभाग से बात करें। जवाब सुनकर लोग हंस रहे हैं कि इंदौर की वर्षा दिल्ली में मापी जा रही है।
छोटे नेता-बड़े नेता की लड़ाई, तीन नंबर पर टिकी निगाहें
तीन नंबर विधानसभा क्षेत्र के छोटे वाले नेता टिकट वितरण से निराश थे। दरअसल विधानसभा क्षेत्र के वार्डों में पार्षद उम्मीदवार का ऐसा कोई टिकट नहीं बंटा जिसे लेकर वो दावा कर सकें कि वो उनका है। सकारात्मक सोच वाले नेताजी इससे निराश नहीं हुए। जिनकी उम्मीदवारी तय हुई उन सभी के पास अब छोटे नेताजी का फोन जा रहा है कि अपने कार्यालय और होर्डिंग-पोस्टरों पर उनका फोटो जरूर लगाएं। बार-बार के फोन के दबाव में आकर कई उम्मीदवारों ने इनका मुस्कुराता चेहरा अपने होर्डिंगों पर छाप भी दिया है। बात कांग्रेस में ऊपर तक पहुंच गई है। प्रदेश कांग्रेस चिंतित है कि विधानसभा क्षेत्र में छोटे और बड़े भाई की राजनीतिक कुश्ती फिर से पार्टी का खेल न खराब कर दे। लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की टेबलें तक नहीं लग सकी थी। फोटो वाले छोटे नेता और गर्म मिजाज वाले बड़े नेता की लड़ाई में इस बार फिर पार्टी को पटखनी मिली तो इस क्षेत्र से दोनों की छुट्टी तय है।
Posted By: Hemraj Yadav
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