Indore Mandi Bhav: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कृषि विभाग ने शुक्रवार को तुवर पर मंडी शुल्क से राहत का आदेश जारी किया। इससे दाल उद्योग खुश होने के बजाय नाराज दिख रहे हैं। आल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन ने आदेश को अव्यावहारिक और पक्षपात पूर्ण करार दिया है। एसोसिएशन ने कहा कि इससे न तो प्रदेश के उद्योगों का भला हो रहा है, न किसानों का भला होने वाला है।

सरकारी आदेश जारी होने के बाद आल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन ने दावा किया कि बीते चार वर्षों में प्रदेश में दाल मिलों ने अपना 50 प्रतिशत उत्पादन घटा दिया है। कुछ मिलें बंद होने के कगार पर हैं। वहीं, बहुत सी मिलों ने गुजरात या महाराष्ट्र पलायन कर लिया है। आल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने ताजा छूट सिर्फ तुवर पर दी है। यह छूट भी सिर्फ मार्च तक के लिए दी गई है। वहीं मप्र में मुख्य रूप से सोयाबीन, गेहूं और चना की खेती होने के कारण उड़द, तुवर, मसूर जैसे अन्य दलहन बाहर से मंगवाने पड़ते हैं।

पड़ोसी राज्यों से ज्यादा मंडी टैक्स

अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में अभी मंडी टैक्स की दर 1.70 रुपये सैकड़ा है, जो पड़ोसी राज्यों से कहीं ज्यादा है। सरकार से दो वर्ष से मांग की जा रही है कि मंडी शुल्क में छूट दी जाए। हालांकि, अब सिर्फ तुवर में छूट दी गई है। ऐसे में यह भेदभाव है कि अन्य दालों के निर्माण करने वालों को राहत नहीं दी जा रही। इससे होगा यह कि उपभोक्ताओं को दालों के दामों में कोई राहत नहीं मिलेगी। न किसान और उद्योगों का लाभ होगा।

स्थायी रूप से मंडी शुल्क में दें छूट

समान रूप से सभी दलहनों पर और स्थायी रूप से मंडी शुल्क में छूट दी जाना चाहिए। सीधे तौर पर सरकार की मंशा उद्योगों और लोगों को राहत देने वाली दिख ही नहीं रही है। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को कृषि विभाग ने अधिसूचना जारी कर आयातित तुवर को 31 मार्च 2024 तक मंडी शुल्क से छूट देने का आदेश दिया है।

Posted By: Hemraj Yadav

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