Indore News : इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद भी स्थिति सुधरी नहीं है। वर्षों पहले कश्मीरी पंडितों ने कांग्रेस की सरकार को ब्लू प्रिंट बनाकर दिया था, जिसमें इस कश्मीर में रहने वाले हिंदुओं की सुरक्षा की बात थी। आज की सरकार ने धारा हटा दी, लेकिन जमीनी स्तर पर समस्या का निराकरण नहीं किया। जेहादियों के बीच कुछ एक हिंदू रहते हैं और आए दिन उनकी हत्या हो रही है। जरूरत है कि वहां सुरक्षा के प्रबंध किए जाएं और कई हिंदुओं को वहां रहने की सुविधा दी जाए। जब हिंदू अधिक संख्या में होंगे और सुरक्षित होंगे तो जेहादियों का अत्मविश्वास कम होगा। भारत के विकास की बात तब तक बेमानी होगी, जब तक यहां जिहाद है।
यह बात जम्मू-कश्मीर की लेखिका क्षमा कौल ने नईदुनिया से हुई विशेष चर्चा में कही। वे शहर में जारी अंतरराष्ट्रीय महिला साहित्य समागम में भाग लेने शहर आई हुई हैं। कौल ने कहा कि ज्ञानवापी, अयोध्या, मथुरा आदि के मुद्दे मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालते हैं। इसके माध्यम से जेहादी यह बात समझ जाएंगे कि उनका वर्चस्व अब नहीं रहेगा। जब जिहाद की कमर टूटेगी, तब ही भारत विकसित नजर आएगा। वास्तव में हर कश्मीरी एक अखबार है क्योंकि उसने वह हकीकत सही, देखी और सुनाई है जो शायद कोई और न कह सके। जहां तक बात लेखन की है तो कई बार मुझे धमकियां मिलीं कि मैं कश्मीरी पंडितों की आवाज न बनूं, पर मैं किसी वर्ग के विरोध में नहीं लिख रही। मैं तो हिंदुओं की बात कर रही हूं। विडंबना तो यह है कि प्रकाशक भी हमारी बात छापने से इन्कार कर देते हैं क्योंकि प्रकाशन भी वामपंथियों के दबाव में हैं। हमारा साहित्य केवल हमारा मसला नहीं, वह तो भारत की, यहां की संस्कृति की बात है।
सख्त कानून की जरूरत - लेखिका जया सरकार का कहना है कि इंटरनेट मीडिया के आने के बाद हर व्यक्ति खुद को लेखक समझ रहा है। जो लिखता है, वह लेखक है, यह सही है लेकिन लेखन की गुणवत्ता पर ध्यान देना जरूरी है। इसके लिए रचनाकार को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी क्योंकि शब्द ब्रह्म होता है। तकनीक की इस दुनिया में लेखक जितना स्वतंत्र है, उतना पहले कभी नहीं था। तकनीक का खामियाजा यह हो रहा है कि मौलिकता कुछ बची ही नहीं। दूसरों की रचना पर अपना नाम चस्पा कर इंटरनेट मीडिया पर अपलोड कर दिया जाता है। हमारे देश में साहित्य अकादमी जरूर है, लेकिन हर लेखक का वहां पहुंचना संभव नहीं। लेखन के संबंध में सख्त कानून नहीं, जिसकी बहुत जरूरत है।
Posted By: Hemraj Yadav