Indore News: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। वाणिज्यिक कर विभाग के जरिए सरकार का खजाना भर रहे मध्य प्रदेश के अधिकारियों की समझ पर सरकार को ही भरोसा नहीं है। विभाग में दो भारतीय राजस्व सेवा (आइआरएस) अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति का प्रस्ताव दिया गया है। प्रतिनियुक्ति का आधार बनाने के लिए तमाम तर्कों के साथ यह भी कहा गया है कि सीबीआइसी के सर्कुलर, आदेश और स्पष्टीकरण की व्याख्या आइआरएस अधिकारी ज्यादा बेहतर तरीके से कर सकते हैं।
सरकार के प्रस्ताव का विरोध शुरू
बात बाहर आने के बाद प्रदेश के अधिकारियों में गुस्सा फूट पड़ा है। प्रदेश के वाणिज्यिक कर राजपत्रित अधिकारी संघ ने सरकार के प्रस्ताव का विरोध कर दिया है। प्रदेश सरकार पर ही सवाल खड़ा किया है कि खुद ने प्रमोशन रोक रखे हैं और अब आइएएस और प्रदेश के अधिकारियों को कमतर बताकर आइआरएस को ऊपर बैठाने की तैयारी की जा रही है।
आइआरएस अधिकारियों के लिए चली फाइल
प्रदेश में वाणिज्यिककर विभाग की कमान कमिश्नर और सचिव स्तर पर आइएएस अधिकारियों के हाथ में होती है। अपर आयुक्त स्तर पर भी आइएएस अधिकारी नियुक्त होते हैं, जबकि संयुक्त कमिश्नर और नीचे के स्तर पर राज्य सेवा के अधिकारी नियुक्त होते हैं। इस ढांचे में पहली बार बदलाव करते हुए संयुक्त कमिश्नर स्तर के दो अतिरिक्त पद सृजित किए जा रहे हैं। इन पदों पर दो आइआरएस अधिकारियों को केंद्र से प्रतिनियुक्ति पर लाने की फाइल चला दी गई है।
प्रस्ताव रद करने की मांग
मप्र वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों में प्रस्ताव से नाराजगी व्याप्त है। राजपत्रित अधिकारी संघ ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए शुक्रवार को वाणिज्यिक कर मुख्यालय इंदौर पर विरोध प्रदर्शित भी कर दिया। मप्र वाणिज्यिक कर राजपत्रित अधिकारी संघ ने प्रदेश के वाणिज्यिक कर आयुक्त लोकेश जाटव को वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री और प्रमुख सचिव के नाम ज्ञापन सौंप कर प्रस्ताव रद करने की मांग कर दी।
रिटर्न के आंकड़े बता रहे कौन है बेहतर
प्रतिनियुक्तियों का विरोध कर रहे वाणिज्यिक कर राजपत्रित अधिकारी संघ ने मंत्री और मुख्य सचिव के सामने बीते तीन वित्त वर्ष के जीएसटी रिटर्न के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि साफ है कि स्टेट जीएसटी के क्षेत्राधिकार में ज्यादा रिटर्न फाइल हुए हैं, जबकि सीजीएसटी के रिटर्न राज्य के मुकाबले कम हैं। अधिकारियों ने स्क्रूटनी से लेकर आइटीसी रिवर्सल के जरिए मप्र में जुटाए गए 1174 करोड़ से ज्यादा के अतिरिक्त राजस्व का हवाला दिया।अधिकारियों ने कहा कि सिर्फ सितंबर माह में यह राजस्व जुटा लिया गया। इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों की क्षमता पर प्रश्न चिन्ह एवं उनकी गरिमा का हनन करते हुए प्रतिनियुक्ति का प्रस्ताव बनाया गया है। जीएसटी 2017 में लागू हुआ है, इस एक्ट को लेकर समझ-अनुभव केंद्र और राज्य के अधिकारियों के बीच समान है।
ज्ञापन सौंपते समय ये अधिकारी थे मौजूद
आयुक्त को ज्ञापन सौंपते समय वाणिज्यिक कर राजपत्रित अधिकारी संघ के अध्यक्ष व ज्वाइंट कमिश्नर आरके शर्मा, महासचिव उमेश तिवारी वरिष्ठ संयुक्त आयुक्त गोपाल पोरवाल, नारायण मिश्रा, मनोज चौबे, श्रीमद् कुमार, उपायुक्त दीपक श्रीवास्तव, अनुराग पाठक, अनुराग जैन, जलज रावत, सोनाली जैन, पूर्णिमा चौरसिया के साथ सहायक आयुक्त संजय सिंह, शिवनंदन तिवारी व अन्य अधिकारी मौजूद थे।
Posted By: Hemraj Yadav