Indore News: गजेंद्र विश्वकर्मा. इंदौर (नईदुनिया)। मेट्रो ट्रेन के बहाने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) इंदौर को भी महत्वपूर्ण अनुभव मिल रहा है। प्रोजेक्ट के कार्यों को जानने के लिए संस्थान की टीम इंदौर में आ रही है और बारीकी से हर कार्य की जानकारी ले रही है। आइआइटी के सिविल इंजीनियरिंग के करीब 50 विद्यार्थी प्रोफेसर के साथ मेट्रो ट्रेन से अधिकारियों से मिल रहे हैं।
देश में किसी शहर में 10 से 20 साल में मेट्रो ट्रेन जैसा बड़ा प्रोजेक्ट आता है। ऐसे में यह पहला अनुभव होगा जब आइआइटी इंदौर भी इसमें अनुभव बढ़ा रहा है। प्रोजेक्ट के साथ आइआइटी मुंबई, दिल्ली और चेन्नई की टीम भी काम कर रही है। आइआइटी इंदौर अब जाकर इससे जुड़ पाया है। सिविल इंजीनियरिंग के एचओडी डा. अभिषेक राजपूत ने बताया कि प्रोजेक्ट का काम बहुत तेजी से चल रहा है और संस्थान भी इसमें अपनी भागीदारी देना चाहता है। इससे मेट्रो प्रोजेक्ट के साथ ही हमारे यहां के विद्यार्थियों को बहुत कुछ नया जानने को मिलेगा।
चुनौतियों को लेकर करेंगे केस स्टडी
मेट्रो ट्रेन का प्रजेंटेशन भी प्रोजेक्ट तैयार कर रही कंपनियों ने दिखाए। इतने बड़े प्रोजेक्ट को पाठ्यक्रम की किताबों से समझना मुश्किल रहता है। अब प्रैक्टिकल रूप से हम इसका काम होते हुए देख रहे हैं। इंदौर में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट होने से संस्थान में शोध करने वाले प्रतिभागियों को भी लाभ होगा। संस्थान आने वाले दिनों में प्रोजेक्ट की सफलता और आने वाली चुनौतियों को लेकर केस स्टडी भी करेगा।
प्लेसमेंट से लेकर बड़े प्रोजेक्ट में काम करने का लाभ मिलेगा
आइआइटी इंदौर के सिविल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को जरूरत होती है कि वे बड़े प्रोजेक्ट के कार्यों को देखे और उसके बारे में जाने। संस्थान की सिविल इंजीनियरिंग की बैच में इस समय जो विद्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं उनके करियर के साथ इसका अनुभव जुड़ जाएगा। इससे प्लेसमेंट में भी फायदा मिलेगा। सिविल इंजीनियरिंग क्षेत्र की कई कंपनियां जब विद्यार्थियों के दस्तावेजों में यह देखेगी कि मेट्रो ट्रेन जैसे प्रोजेक्ट को विद्यार्थियों ने प्रेक्टिकल रूप से जाना है तो वे उन्हें वरीयता में रख सकती है। अगर विद्यार्थी आगे जाकर सिविल इंजीनियरिंग कंसल्टिंग या खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तब भी इस समय मिल रहा अनुभव हमेशा काम आएगा।
28 स्टेशनों से गुजरेगी ट्रेन
इंदौर में तैयार हो रहे मेट्रो ट्रैक पर 28 स्टेशन होंगे। कुल 31.5 किलोमीटर का ट्रैक रहेगा। पहले चरण के तहत 17.5 किलोमीटर का काम चल रहा है। गांधीनगर से आइएसबीटी तक का काम रेल विकास निगम कर रहा है और आइएसबीटी से रोबोट चौराहे तक का काम दिलीप बिल्डकान कर रही है। प्रोजेक्ट में करीब 7500 करोड़ रुपये की लागत आएगी। मध्य क्षेत्र में मेट्रो का स्वरूप कैसा रहेगा इसे लेकर निर्णय होना बाकी है।
Posted By: Hemraj Yadav
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