Indore News: इंदौर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। इंदौर से जुड़े रेल प्रोजेक्ट के लिए इस बार भी अच्छी राशि मिली है, लेकिन काम की गति धीमी है। मालवा निमाड़ के सबसे महत्वपूर्ण महू-सनावद-खंडवा रेल प्रोजेक्ट के लिए लगातार दूसरे साल बड़ी धनराशि मिली है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल इंदौर से जुड़े सभी प्रोजेक्ट को मिले 1353 करोड़ रुपये में से 300 करोड़ इस बार लैप्स होकर दूसरे प्रोजेक्ट को आवंटित होंगे। इस बार भी ऐसा रहा तो काफी दुर्भाग्यपूर्ण होगा।

इस बार रेल बजट में महत्वपूर्ण महू-सनावद-खंडवा रेल परियोजना को 700 करोड़ की राशि मिली है, जबकि पिछले साल इसे 888 करोड़ की राशि मिली थी। वर्ष 2008 में यहां गेज परिवर्तन का काम शुरू हुआ जो अब तक जारी है। खंडवा से सनावद तक का काम पूरा हो गया है। यहां का सीआरएस भी हो गया है, लेकिन सनावद से महू तक का काम अटका हुआ है। 2008 में इस प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ था। तब इसकी लागत 1400 करोड़ रुपये थी। लेकिन अब इसकी लागत 2400 करोड़ से अधिक हो गई है। नया ट्रैक बनने पर इंदौर से उत्तर-दक्षिण के राज्य सीधे जुड़ जाएंगे। इंदौर-मनमाड़ जुड़ने से वहां से बेंगलुरु, पुणे तक लिंक मिल जाएगी। इससे सफर काफी आसान हो जाएगा। महू से सनावद का कुछ हिस्सा घाट का है। यहीं पर सबसे बड़ी परेशानी है। महू से पातालपानी, कालाकुंड तक घाट सेक्शन है। यहां सर्वे भी नहीं हो पाया है। पिछले साल एक कंपनी सर्वे आधा अधूरा छोड़ कर चली गई थी।

रेलवे सर्वे और भूमि अधिग्रहण ही नहीं करवा रहा

रेलवे विशेषज्ञ और मालवा चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष अजित सिंह नारंग बताते हैं कि महू-खंडवा-अकोला के लिए पैसा है, लेकिन रेलवे सर्वे और भूमि अधिग्रहण ही नहीं करवा पा रहा है। जाने कब तक यह काम हो सकेंगे। दूसरे रेल मंडलों में इससे भी दुर्गम पहाड़ी इलाकों में इसके बाद के प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। पहले रेलवे अधिकारी बजट कम होने की बात कहते थे। इस बार बजट भी मिला है। आकोट तक काम हुआ है, लेकिन वहां से महू के लिए काम की गति धीमी है। जो रेल लाइन अंग्रेजों के समय चार साल में डल गई थी। वह 2008 से अब तक पूरी ही नहीं हो पाई है। यह काफी निराशाजनक है।

Posted By: Hemraj Yadav

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