Indore News: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। निजी स्कूलों को गलत ढंग से मान्यता दिए जाने को लेकर जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) अक्षय राठौर को लोक शिक्षण संचालनालय ने निलंबित कर दिया है। राठौर पर नौ स्कूलों को नियम विरुद्ध मान्यता देने का आरोप लगा है। उस दौरान वे बतौर प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी थे। मामले में एक प्रोग्रामर धीरेंद्र सिंह परिहार भी लिप्त पाया गया। मान्यता में गड़बड़ी स्वीकार करते हुए प्रोग्रामर ने डीपीसी की भूमिका के बारे में भी जानकारी दी। शासन ने तत्काल प्रोग्रामर को हटा दिया। उधर, इन दिनों प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। राठौर के खिलाफ चालान भी पेश हो चुका है।
दरअसल, नियमों का उल्लंघन कर मान्यता देने का मामला 2018 में हुआ है। 14 अगस्त से 6 अक्टूबर तक डीपीसी राठौर को जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार दिया गया था। उस दौरान स्कूलों की मान्यता दिए जाने की प्रक्रिया चल रही थी। दिव्य शक्ति, हरगोविंद पब्लिक स्कूल, श्रीजी इंटरनेशनल, द अपेक्स एकेडमी एंड प्ले स्कूल, सेंट उमर एकेडमी, बिरला ओपन माइड, माइड आइ वर्ल्र्ड, बाम्बे पब्लिक स्कूल, श्री जी इंटरनेशनल शामिल है।
शिकायत मिलने के बाद हुई थी जांच
विभाग को शिकायत मिलने पर जांच की गई, जिसमें पाया कि जिला शिक्षा अधिकारी के डिजिटल साइन मान्यता से जुड़े दस्तावेज पर मिले। इन्हें मान्यता 3 अक्टूबर से 24 नवंबर 2018 के बीच जारी हुई। पांच स्कूलों को विकासखंड, तीन स्कूलों को बिना विकासखंड मान्यता दी गई। साथ ही बिना दस्तावेज के एक स्कूल को मान्यता मिली। सारे स्कूलों के प्रकरण जिला परियोजना समन्वयक की अनुशंसा पर मंजूर किए गए।
नोटिस देकर पूछा था कारण
सबसे पहले विकासखंड अधिकारियों को नोटिस दिया। उन्होंने विभाग को लिखकर दिया कि उनके द्वारा मान्यता नहीं दी गई, बल्कि उनके लागइन और पासवर्ड का गलत ढंग से उपयोग किया गया। इसके बाद तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी सीके शर्मा और जिला परियोजना समन्वयक राठौर को भी नोटिस देकर कारण बताने को कहा। शर्मा ने अपने बयान में मान्यता दिए जाने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने तकनीकी का दुरुपयोग होने की बात कहीं।
पहले गुमराह किया, दोबारा जांच में खुल गई पोल
राठौर ने भी अपना पल्ला झाड़ते हुए नोटिस का जवाब दिया कि 14 अगस्त से 6 अक्टूबर 2018 तक प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी थे, मगर इस अवधि में किसी भी स्कूल को मान्यता नहीं दी गई। बाद में मान्यता से जुड़े दस्तावेजों का अच्छे जांचा गया तो राठौर के डिजिटल साइन होना पाया गया। प्रोग्रामर परिहार ने स्वीकारा कि राठौर के डिजिटल साइन से स्कूलों की मान्यता दी है। मामले में राजेंद्र नगर थाने में 28 फरवरी 2019 को प्रकरण दर्ज हुआ। तीन साल बाद 6 दिसंबर 2022 को न्यायालय में चालान पेश किया गया। राठौर को निलंबित कर संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय में अटैच किया गया।
Posted By: Hemraj Yadav
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