Indore News: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर चार साल बाद इंदौर पधारे। उन्होंने एक कार्यक्रम में समाज के हर वर्ग के लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए।
प्रश्न : प्रेम क्या है?
रविशंकर : क्या आपने कान से सूंघा है, नाक से खाया है। प्रेम को समझने की चेष्टा फिजूल है। व्यापार बुद्धि का विषय है प्रेम नहीं। दिल में कुछ-कुछ होता है यही प्रेम है। किंतु यदि आपको हर किसी को देखने पर कुछ होने लगता है, तो यह असमंजस है, प्रेम नहीं।
प्रश्न : प्रेम के अन्य स्वरूप जैसे माता-पिता, भाई-बहन, गुरु-शिष्य प्रेम में मूल तत्व समान है या अंतर है?
रविशंकर : प्रेम कृत्य नहीं, स्वभाव है। जैसे घर का पालतू कुत्ता सभी सदस्यों से पूंछ हिलाकर प्रेम अभिव्यक्त करता है। घर का बच्चा गोद में प्रेमपूर्वक जा बैठता है। बड़ों को देख हमारी अभिव्यक्ति अलग होती है, उनके हम चरण छूते हैं। उम्र व स्थान के हिसाब से प्रेम अलग-अलग होता है। यह समझने की बात है।
प्रश्न : अपेक्षाओं से सामंजस्य कैसे बैठाएं?
रविशंकर : जैसे भोजन की थाली में दाल, चावल, मीठा सभी चीजों का महत्व है, वैसे ही जीवन में हर चीज का महत्व है। यदि किसी एक को पकड़कर रखेंगे तो घुटन होगी। मध्य मार्ग चुनें। दूसरों की जो बात सही हो, उसे मानें और जब अपनी बात सही हो तो उस पर दृढ़ रहें।
27 मार्च को इंदौर करेगा श्रीश्री के साथ योग
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि श्रीश्री रविशंकर तीन दिन इंदौर में रहेंगे। 27 मार्च को सुबह दशहरा मैदान पर वे योगमित्र कार्यक्रम में शामिल होंगे। साथ ही रुद्र पूजा भी करेंगे। इसका आनलाइन प्रसारण 180 देशों में किया जाएगा।
Posted By: Hemraj Yadav